6 या 7 मार्च, कब है होलिका दहन? ज्योतिषाचार्य से जानिए मुहूर्त की सही डेट और टाइमिंग
Rajasthan News: होली का त्योहार मनाने के लिए पूरे देश में लोग उत्साहित हैं. हालांकि होली किस दिन मनाई जाएगी इसको लेकर सभी के मन में सवाल हैं. बता दें कि हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है. इसके बाद ही अगले दिन प्रतिपदा तिथि को रंगों की होली […]
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Rajasthan News: होली का त्योहार मनाने के लिए पूरे देश में लोग उत्साहित हैं. हालांकि होली किस दिन मनाई जाएगी इसको लेकर सभी के मन में सवाल हैं. बता दें कि हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है. इसके बाद ही अगले दिन प्रतिपदा तिथि को रंगों की होली खेली जाती है. इस साल पूर्णिमा तिथि 6 मार्च से शुरू होकर 7 मार्च को खत्म होगी. होली किस दिन मनाई जाएगी और इसके बारे में शास्त्र क्या कहता है. इसको लेकर ज्योतिषाचार्य ज्योतिषाचार्य पंडित लोकेश व्यास ने सबके मन में उठ रहे सवालों का जवाब दिया है.
होलिका दहन के बारे मे ज्योतिषाचार्य पंडित लोकेश व्यास ने बताया कि होलिका दहन 6 मार्च को रात्रि 12 बजकर 11 मिनट के बाद रात्रि 1 बजकर 23 मिनट के पहले करना शास्त्र सम्मत है. क्योंकि प्रदोष काल व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भद्रा रहित काल में होलिका दहन किया जाता है. इस साल पूर्णिमा 6 मार्च को शाम 4 बजकर 6 मिनिट से प्रारम्भ होकर दूसरे दिन मंगलवार को शाम 5 बजकर 48 मिनट तक है. उसके बाद प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ हो रही है.
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इस बार पूर्णिमा तिथि का मान 64 घटी 21 पल है और प्रतिपदा का मान 63 घटी 15 पल है. पूर्णिमा तिथि साढ़े तीन प्रहर से अधिक वृद्धि गामिनी है और प्रतिपदा का कुल भोग काल पूर्णिमा के कुल भोग काल से ह्रास गामिनी है. इसलिए शास्त्र निर्देश यही है पहले दिन ही भद्रा आक्रांत प्रदोष व्यापिनी वृद्धि गामिनी पूर्णिमा में ही भद्रा के पूछ काल और मुख काल को छोड़कर होलिका दहन किया जाना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि केवल भारत के पूर्वोत्तर राज्यों जहा सूर्योदय पहले होता है बिहार बंगाल उड़ीसा आदि में पूर्णिमा तिथि का मान क्रम होने से और प्रतिपदा का मान क्रम होता है वहा तारीख 7 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बनारस, गुजरात, महाराष्ट्र और कश्मीर आदि जगह 6 मार्च को होलिका दहन होगा.
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होली के त्योहार में भक्त प्रहलाद और होलिका के अलावा और भी कुछ संस्मरण शास्त्रों में वर्णित है. इसी दिन भगवान शिव ने कामदेव को भस्म करने के बाद पुनर्जीवित किया था. इसी दिन राजा पृथु ने राज्य के बच्चों को ढूंढी राक्षसी से बचाने के लिए उसका वध किया था.
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