JLF 2023: नई आवाजों के नाम रहा तीसरा दिन, साहित्य और संगीत में डूबे लोग

ADVERTISEMENT

Rajasthantak
social share
google news

Jaipur Literature Festival 2023: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) का साहित्य प्रेमियों पर सिर चढ़कर बोल रहा है. यंगस्टर्स भी अपने पसंदीदा लेखकों, शायरों और कलाकारों को सुनने के लिए काफी बेताब दिख रहे हैं. शनिवार को जेएलएफ का तीसरा दिन था. यह दिन अनुभव और नई आवाजों के नाम रहा. सुबह की शुरुआत अनिरुद्ध वर्मा कलेक्टिव के राग बासंती से जिसने श्रोताओं के मूड को राइट पिच पर सेट करने का काम किया. इसके बाद अनामिका, नंद भारद्वाज, शेहान करुनातिलक, दीप्ति कपूर, यतीन्द्र मिश्र, खालिद जावेद, बारां फारुकी जैसे लेखकों ने खूब रंग जमाया.

जेएलएफ के ‘एक हिंदी अनेक हिंदी सत्र’ में प्रतिष्ठित लेखकों अनामिका, नंद भारद्वाज, पुष्पेश पंत, गीतांजलि श्री और यतीन्द्र मिश्र ने हिंदी के माध्यम से भाषा और साहित्य के समकालीन और शास्त्रीय स्वरूप की बात रखी. जिसमें अनामिका ने अपने लेखन में भाषा वैविध्य के विषय में बताते हुए कहा कि जब लिखने चलो तो चेतन बार-बार स्मृतियों की ओर लौटता है, उन्हीं स्मृतियों से भिन्न आवाजें और बोलियां आपके लेखन को विविधता प्रदान करती हैं. वहीं राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार नंद भारद्वाज ने भाषा के संदर्भ में कहा कि हिंदी जिस क्षेत्र में जाती है, वहां ढल जाती है और उस क्षेत्र के बहुत सारे भावों और शब्दों को अपने में समाहित कर अपना विस्तार बढ़ाती है. इसके आलावा पुष्पेश पंत ने गीतांजलि श्री की भाषा के सन्दर्भ में बताया कि गीतांजलि जो भाषा के साथ करती हैं, वो भाषा के आयाम को विस्तार देना है.

इसके अलावा ‘सेवेन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ सत्र में बुकर प्राइज विजेता श्रीलंकाई लेखक शेहान करुनातिलक से लेखिका नंदिनी नायर ने बात की. शेहान ने अपने उपन्यास ‘सेवेन मून्स ऑफ माली अल्मेडा’ पर दानव, प्रेत और पुनर्जन्म जैसे विषयों को लेकर उन्होंने कहा कि अगर मैं भूत के नजरिये से लिखूं तो श्रीलंका के मृत लोग मुझसे बात करने लगे. ये एक भूतिया कहानी के लिए बढ़िया प्लॉट है और बुकर प्राइज मिलना किस्मत की बात थी. ये ऐसे ही था जैसे लूडो के डाइस में तुक्के से छह नम्बर आ जाता है. वहीं ‘ऐज ऑफ वाईस’ सत्र में उपन्यासकार दीप्ति कपूर से जमैकाई लेखक मार्लोन जेम्स ने अपराध कथा पर आधारित उपन्यास ग्रे शेड की बात करते हुए कहा कि ये अपराध जगत की कई परतें खोलता है. वही क्राइम फिक्शन को ही अपने लेखन का आधार बनाने पर दीप्ति ने कहा कि थ्रिलर ने उन्हें हमेशा से रोमांचित किया, तेजी से बदलते घटनाक्रम को दर्ज करना उन्हें एक संतुष्टि का एहसास करवाता है.

ADVERTISEMENT

तस्वीर: जेएलएफ के ट्विटर से

इसके आलावा महान गायिका लता मंगेशकर के सुरों के सफर को आधार बनाकर यतीन्द्र मिश्र द्वारा लिखी गई किताब पर गुलजार साहब ने कहा कि हमें बिना बताये ही वो हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी का हिस्सा बन गई थीं. जीवन से जुड़ी हर अहम रस्म पर उनका गाना है और बिना जाने ही आप सुबह से शाम तक किसी न किसी माध्यम से उनकी ही आवाज सुनते हैं.

वहीं जावेद की उर्दू किताब ‘नेमतखाना’ का अनुवाद बारां ने ‘पैराडाइस ऑफ फूड’ नाम से किया है. उन्होंने कहा कि जावेद की ये किताब गुड्डू मियां नामक किरदार के माध्यम से भारतीय समाज की खानपान और चबाने से जुड़ी अजीब आदतों पर व्यंग्य कसती है. जावेद रोजमर्रा की सामान्य चीजों में से व्यंग्य ढूंढने के लिए मशहूर हैं. उर्दू के महान विद्वान् शम्सुर्रहमान फारुखी ने जावेद को ‘मास्टर्स ऑफ एस्थेटिक डिस्गस्ट’ कहा था और इस पर जावेद ने कहा कि एक कलाकार समाज की गंदी चीजों को भी खूबसूरती से प्रस्तुत कर सकता है.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें: जावेद अख्तर पर बोलीं शबाना आजमी, कहा- उनमें रोमांस नाम की एक हड्डी तक नहीं

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT