झालावाड़: सामूहिक विवाह समारोह में पहुंची वसुंधरा, बोली- मैं तो गुर्जरों की समधन हूं कैसे नहीं आती

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झालावाड़: सामूहिक विवाह समारोह में पहुंची वसुंधरा, बोली - मैं तो गुर्जरों की समधन हूं कैसे नहीं आती
झालावाड़: सामूहिक विवाह समारोह में पहुंची वसुंधरा, बोली - मैं तो गुर्जरों की समधन हूं कैसे नहीं आती
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Jhalawar: झालावाड़ में शुक्रवार को पूर्व सीएम राजे ने कहा कि आज भी समाज में महिला और पुरुष में उतनी समानता नही है, जितनी होनी चाहिए. आज भी छोटे गांवों में बच्चों की पढ़ाई पर तो ध्यान दिया जाता है पर बच्चियों की पढ़ाई पर उतना नहीं, इसलिए अब आवश्यक है कि सामूहिक विवाह सम्मेलन जैसी अच्छी पहल के साथ समाज के लोग बालिका शिक्षा के लिए भी प्रोत्साहन शिविर लगाए, जिससे कि हमारा सम्पूर्ण समाज शिक्षित हो सके. वे गुर्जर और गोस्वामी समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में बोल रही थी. उन्होंने कहा कि 3 दशक पहले जब वे हाड़ौती आई थी तब, हालत कुछ अलग थे आज कुछ अलग. खास कर उस वक्त के झालावाड़ और आज के झालावाड़ में बड़ा अंतर है.

झालावाड़ में हर तरफ विकास

पूर्व सीएम ने कहा कि इन दशकों में झालावाड़ कई बड़े परिवर्तनों का गवाह बना. अब तो यहां हवाई जहाज तक उतर रहे हैं. उस झालावाड़ में जहां नदी-नालों के कारण अधिकतर समय आवागमन अवरुद्ध रहा करता था. आज उसी झालावाड़ के चारों तरफ़ सरसराती-चमचमाती चौड़ी-चौड़ी सड़कें भी दिखाई दे रही हैं. यह सब यहां के लोगों की मेहनत, आशीर्वाद और सहयोग का कमाल है.

अब बदल गई तस्वीर

उन्होंने कहा कि एक वक्त वो भी था जब इलाज के लिए दौड़-दौड़ कर यहां के लोगों को कोटा जाना पड़ता था, पर आज यहां मेडिकल कॉलेज है. सालों से सिंचाई के लिए तरस रहे यहां के किसानों के लिए आज कई सिंचाई परियोजनाएं है. उद्योग धंधे हैं. शिक्षा के लिए बड़ी-बड़ी संस्थाएं है. पर्याप्त आधारभूत संरचनाएं हैं. यह प्रतिफल है हमारी टीम का.

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मैं तो गुर्जर समाज की समधन हूं कैसे नहीं आती

पूर्व सीएम ने कहा कि गुर्जर समाज के इस सम्मेलन में मुझे आना ही था, समधन जो हूं. इस समाज की. उन्होंने कहा कि न गुर्जर समाज मुझ से अलग हो सकता और न मैं. हम एक दूजे के साथ मजबूत डोर से बंधे हुए हैं और मैं तो वैसे भी 36 की 36 क़ौम को साथ लेकर चलती हूं. हमारे प्रधानमंत्री जी का मंत्र है सबका साथ,सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास. हम इसे लेकर ही आगे बढ़ रहे हैं.

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