बीजेपी में चेहरा भले ना हो, पर आगे-आगे तो महारानी की चलेंगी!

राजस्थान तक

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There may not be a face in BJP, but the queen will go ahead!

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राजस्थान में चुनावी पारा धीरे-धीरे चढ़ रहा है, बीजेपी की सबसे बड़ी टेंशन ये है कि राजस्थान में अशोक गहलोत की योजनाओं की काट कैसे निकाली जाए। जनता के बीच किन मुद्दों को लेकर जाया जाए। सवाई माधोपुर में बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने पार्टी के तमाम नेताओं के साथ बैठक की। बैठक में तय हुआ कि सीएम का चेहरा घोषित किए बिना ही मोदी के चेहरे और मोदी के नौ साल के काम को लेकर ही जनता के बीच जाएंगे। बीजेपी की ओर से प्रचार सामग्री में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे,प्रदेशाध्यक्ष सी.पी.जोशी और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़ के फोटो लगाए जाएंगे। तीनों नेता प्रदेश के अलग-अलग संभागों से निकाली जाने वाली परिवर्तन यात्रा में मौजूद रहेंगे। अन्य नेता उनके गृहक्षेत्र में निकाले जाने वाली यात्रा में मौजूद रहेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि वसुंधरा, राठौड़ और जोशी जब राजस्थान में परिवर्तन यात्रा लेकर निकलेंगे, तो सबकी नज़र वसुंधरा राजे पर ही होगी। क्यों इससे पहले वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही साल 2003 में भी ऐसी ही परिवर्तन यात्रा निकाली गई थी, उसके बाद बीजेपी चुनाव जीती और वसुंधरा राजे प्रदेश की मुखिया बनीं थीं। वहीं साल 2013 में भी वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही सुराज संकल्प यात्रा निकाली गई थी, और इसका भी बीजेपी को प्रदेश बड़ा फायदा मिला, और प्रदेश में फिर से बीजेपी की सरकार आई, और वसुंधरा राजे सीएम बनीं। अब एक बार फिर से सवाई माधोपुर से बीजेपी के तमाम नेता जीत का मंत्र लेकर निकले हैं। बताया जा रहा है सवाई माधोपुर के ही त्रिनेत्र श्रीगणेश मंदिर से ही बीजेपी की परिवर्तन यात्रा निकाली जाएगी, इस दौरान राजस्थान के अलग-अलग स्थानों से परिवर्तन यात्राएं निकाली जाएगी। सरकार के खिलाफ 1 अगस्त से सामूहिक नेतृत्व में यात्रा निकाली जाएगी, और प्रदेश की मौजूदा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की बीजेपी की ओर से पूरी कोशिश की जाएगी। सवाई माधोपुर में नेताओं को चुनाव में जातिगत समीकरणों पिछड़ा वर्ग और दलित वोटों को भी ध्यान में रखकर भी रणनीति बनाने की सलाह दी गई है। संगठन महामंत्री बीएल संतोष की हिदायत के बाद अब वसुंधरा राजे, राजेद्न सिंह राठौड़, सीपी जोशी, किरोड़ी लाल मीणा और कैलाश चौधरी समेत कई नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। लेकिन राजस्थान में जिस तरह से कांग्रेस चुनावी मोड में है, सरकार की योजनाओं का प्रचार हो रहा है, उससे बीजेपी थोड़ा परेशान जरूर दिख रहा है।

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