BJP हो या कांग्रेस, गुटबाज़ी से दोनों को नुकसान, फायदा उठाने में लगी RLP!
Rajasthan Political Crisis
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राजस्थान में सियासत के मैदान में अपना हुनर दिखाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी के दिग्गज ताल ठोंक चुके हैं। बीजेपी के लिए बैटिंग करने खुद प्रधानमंत्री मोदी भी सियासी पिच पर उतरने लगे हैं, तो वहीं कांग्रेस को फिर से रिपीट करवाने के लिए अशोक गहलोत ने भी पूरा दम लगा दिया है। अशोक गहलोत अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवा रहे हैं, महंगाई राहत कैंप के जरिए जनता को राहत पहुंचा रहे हैं। अब तो जनता को मुफ्त बिजली वाला तोहफा भी दिया जा रहा है। उधर मोदी ये आरोप लगा रहे हैं कि देश और प्रदेश की जनता के लिए जो भी काम किए हैं वो बीजेपी ने ही किए हैं, कांग्रेस की सरकार ने तो अब तक लोगों को सिर्फ ठगा है। राजस्थान के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई है तो बीजेपी में भी गुटबाजी कम नहीं है। दोनों ही दलों में नेता सीएम का चेहरा बनने को बेताब हैं, ऐसे में अब दोनों ही दलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि पार्टी के अंदर की गुटबाजी को कैसे खत्म किया जाए। दिल्ली में सुलह के बाद भी अशोक गहलोत और सचिन पायलट के रास्ते अलग ही दिख रहे हैं, तो वहीं बीजेपी में वसुंधरा राजे, राजेन्द्र सिंह राठौड़, सतीश पूनिया और गजेन्द्र सिंह शेखावत खुद को सीएम फेस बनाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन सियासी जानकार ऐसा मानते हैं कि बीजेपी चुनाव होने तक ऐसी कोई गलती नहीं करेगी, जिससे अंतरकलह और बढ़े। हालाकि कांग्रेस में अशोक गहलोत का विजन साफ है, वो पार्टी को जीत दिलवाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं, लेकिन सचिन पायलट का रुख आने वाले वक्त में क्या रहेगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। इधर राजस्थान में तीसरे मोर्चे की अगुवाई कर रहे हनुमान बेनीवाल भी कांग्रेस के साथ बीजेपी की भी मुश्किलें बढ़ाते दिख रहे हैं। बेनीवाल अब कांग्रेस-बीजेपी के विरोधियों से हाथ मिलाने के जुगाड़ में लगे हैं, ताकि 2023 में अपना परचम फहरा सकें। माना जा रहा है कि दस विधानसभा सीटों पर बेनीवाल बीजेपी और कांग्रेस दोनों का नुकसान कर सकते हैं।
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