राजस्थान का ऐसा ‘हाईकोर्ट’ जहां किरोड़ी समेत कई बड़े नेता लगाते हैं हाजिरी, जानें इसके बनने की कहानी

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राजस्थान का ऐसा 'हाईकोर्ट' जहां किरोड़ी समेत कई बड़े नेता लगाते हैं हाजिरी, जानें इसके बनने की कहानी
राजस्थान का ऐसा 'हाईकोर्ट' जहां किरोड़ी समेत कई बड़े नेता लगाते हैं हाजिरी, जानें इसके बनने की कहानी
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World Tribal Day: राजस्थान (rajasthan news) के दौसा (dausa news) जिले में स्थित मीणा हाईकोर्ट (meena highcourt) में पिछले 5 साल से लगातार विश्व आदिवासी दिवस (world tribal day) मनाया जा रहा है. इस बार भी 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने के लिए मीणा हाईकोर्ट में जोरदार तैयारी की गई है. यहां मनाए जा रहे आदिवासी दिवस की कमान हर बार राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा (kirodilal meena) अपने हाथों में रखते हैं. हाईकोर्ट नाम सुनते ही लोगों को लगता है कि यह कोई कोर्ट कचहरी है. लेकिन यहां के वकील और जज काले कोट में नहीं दिखते, बल्कि चिलम फूंकते मीणा समाज के बुजुर्ग लोग ही यहां फैसला लेते हैं.

दौसा जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र नांगल प्यारी वास में स्थित मीणा हाईकोर्ट के बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. ये ऐसा हाईकोर्ट है जो कई बड़े जन आंदोलनों का भी गवाह रहा है. यहां राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा समेत कई बड़े नेता अपनी हाजिरी लगाते हैं. यही नहीं, लोकसभा चुनाव-2019 के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने भी यहां एक विशाल जनसभा की थी.

ये है मीणा हाईकोर्ट के बनने की कहानी

स्थानीय लोगों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, चूडियावास कांड की वजह से इस जगह को मीणा हाईकोर्ट कहा जाता है. दरअसल, 1993 में एक विवाहिता ने अपनी मां, उसके प्रेमी चाचा के साथ मिलकर पति को मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद नांगल राजावतान थाने में आईपीसी की धारा 302 में एफआईआर दर्ज हुई. ग्रामीण की जानकारी के अनुसार, ग्रामीण पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुए और चूडियावास गांव में 11 गांवों की महापंचायत आयोजित हुई. पंच पटेलों ने पत्नी और उसके प्रेमी को हत्या का दोषी करार देते हुए दोनों को गांव में निर्वस्त्र घुमाने की सजा सुना दी थी. फिर मुंह काला करके दोनों को चूडियावास गांव में जूलूस निकालकर पैदल ही ग्रामीणों द्वारा नांगल राजावतान लाया गया. इस वजह से दौसा, नांगल राजावतान पुलिस ने प्यारीवास से पंचों को गिरफ्तार कर लिया.

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पंचों को पुलिस से छुड़ाने के लिए किरोड़ी ने किया था आंदोलन

पंचों की गिरफ्तारी की वजह से ग्रामीण भड़क गए और कुछ लोगों ने न्यायालय में पंचों की जमानत याचिका भी लगाई. जब जमानत याचिका भी खारिज हो गई तो यहां के ग्रामीणों ने पूर्वी राजस्थान के बड़े नेता किरोड़ी लाल मीणा का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद किरोड़ी ने आंदोलन शुरू किया. सरकार ने कई बार किरोड़ी लाल मीणा और ग्रामीणों से वार्ता की लेकिन असफल रही. इसके बाद किरोड़ी लाल मीणा ने दौसा कूच का आह्वान करते हुए कहा कि हमें बिना जमानत के हमारे पंच पटेल चाहिए. उस वक्त राजस्थान में भैरोसिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे. दौसा कूच के आह्वान के बाद सरकार के हाथ पैर फूल गए और उन्होंने सभी पंच पटेलों को बिना जमानत के किरोड़ी लाल मीणा और ग्रामीणों के हवाले कर दिया. उसके बाद नांगल प्यारी वास को मीणा हाईकोर्ट के नाम से पहचाना जाने लगा.

मीणा हाईकोर्ट में ठहरे थे राहुल गांधी

मीणा हाईकोर्ट से ही किरोड़ीलाल मीणा ने कई आंदोलन किए और समाज में व्याप्त कई कुप्रथाओं को यहीं से समाप्त करवाया. कहते है यहां से होने वाले आंदोलन और रैलियां का संदेश पूरे राजस्थान में जाता है. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी भी इसी मीणा हाईकोर्ट में रुके थे.

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इस बार 2 लाख से अधिक लोग जुटेंगे

किरोड़ी लाल मीणा के मीडिया प्रभारी धुनधी राम मीणा ने बताया कि इस बार विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ कई नेता मीणा हाईकोर्ट पहुंचेंगे. टीटोली टोल प्लाजा से मीणा हाईकोर्ट तक किरोड़ी के पहुंचने के दौरान उनके आगे-आगे आदिवासी लड़कियां नृत्य करेंगी. उन्होंने बताया कि विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर 2 लाख से अधिक लोग मीणा हाईकोर्ट में जुटेंगे जिसको लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई है.

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