NEET Topper Marksheet: कैंसर से जूझ रहे मौलिक ने बीमारी और नीट एग्जाम दोनों कर दिया फतह, देखें मार्कशीट

चेतन गुर्जर

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Rajasthantak
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कोटा में पढ़ने वाले छात्र मौलिक पटेल ने नीट एग्जाम क्वालिफाई कर लिया. ना सिर्फ क्वालिफाई, बल्कि 94 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल किए. लेकिन टॉपर छात्रों की लिस्ट में शुमार मौलिक की कहानी जिसने भी सुनी, वो हैरान रह गया. दरअसल, मौलिक को दो साल पहले कैंसर हो गया था, बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. दरअसल, साल 2022 में यूरिनेशन के समय दर्द हुआ. सोनोग्राफी में ट्यूमर और बायोप्सी जांच में कैंसर सामने आया. तब कक्षा 11 में था, इसके बाद जो इलाज का सिलसिला शुरू हुआ तो इस वर्ष अप्रैल में खत्म हुआ. लेकिन वह हमेशा सकारात्मक रहे और एग्जाम की तैयारी भी जारी रखी.

बीमारी से जूझते हुए मौलिक ने बोर्ड और फिर नीट परीक्षा क्रेक की. नीट रिजल्ट में छात्र को 720 में से 715 अंक मिले. वहीं, महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड में 94.67 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. अब मौलिक कैंसर मरीजों के जीवन में खुशहाली लाने के लिए ऑंकोलॉजिस्ट बनना चाहता है. मौलिक का परिवार मुम्बई में घाटकोपर निवासी है.

शरीर में आने लगे बदलाव, महसूस होने लगी कमजोरी

मई 2022 में मौलिक के शरीर में बदलाव आने शुरु हो गए और कमजोरी महसूस भी होने लगी. यूरीनेशन के समय दर्द के अलावा बुखार भी रहने लगा. स्टूडेंट का कहना है "मैं इन लक्षणों को सामान्य समझ रहा था. हॉस्टल में रहता था तो स्थिति के बारे में रूममेट ने परिजनों को सूचित किया. डॉक्टरों को दिखाया. सोनोग्राफी एवं अन्य जांचों के बाद सामने आया यूरीनेशन ब्लैडर के पास एक ट्यूमर है, जोकि 10 सेंटीमीटर का था. सीटी स्कैन और बायोप्सी के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उसे ‘सरकोमा’ है, जो कि एक तरह का कैंसर है. यह जानकर परिवार को झटका लगा. वह सिंगल चाइल्ड भी है. इसके बाद जब इसी साल अप्रैल में कैंसर से पूरी तरह ठीक हो गया तो मैंने एलन में टेस्ट देने की अनुमति ली. इस दौरान 12वीं के एग्जाम में शामिल हुआ, जितने भी मेजर टेस्ट थे, वो भी नियमित दे रहा था. मैंने ज्यादा से ज्यादा मॉक टेस्ट दिए. अब मैं केवीएम हॉस्पिटल मुंबई से एमबीबीएस करना चाहता हूं और अंकोलॉजिस्ट बनना चाहता हूं.

दो बार सर्जरी, 12वीं बोर्ड भी नहीं दे पाए

मौलिक ने बताया कि मेरी जून 2022 में सर्जरी हुई थी. मुझे कैंसर का पता था लेकिन ये नहीं पता था कि इसका ऑपरेशन इतना बड़ा था. डॉक्टरों ने आशंका जताई कि यूरीनेरी ब्लैडर निकालना पड़ सकता है. सिर्फ इसी बात की डर था कि कहीं ऐसा नहीं हो जाए, लेकिन ऑपरेशन में डॉक्टरों ने ब्लैडर नहीं निकाला. इसके बाद कीमोथैरेपी की शुरुआत हुई. जिसमें रोजाना 3-4 घंटे लगते थे, साइड इफेक्ट भी थे. जिसके चलते कब्ज रहती थी और सिर के बाल तक उड़ गए थे. अक्टूबर 2022 तक कीमोथैरेपी के तीन सेशन के बाद भी सेंटीमीटर का ट्यूमर रह गया था.

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डॉक्टरों ने कीमोथैरेपी की डोज बदली, जो कि दिसंबर तक चला. जनवरी में परेशानी बढ़ती नजर आई क्योंकि तब तक ट्यूमर बढ़कर 16 सेंटीमीटर तक हो चुका था. जिसके बाद दूसरी सर्जरी की गई. फरवरी में चैकअप में सामने आया कि अब भी ट्यूमर 10 सेंटीमीटर का बचा हुआ था. डॉक्टरों ने फैसला लिया कि इतने बड़े ट्यूमर पर रेडिएशन नहीं दे सकते, इसलिए कीमोथैरेपी का बोला. लेकिन जुलाई-23 तक कुल 31 रेडिएशन हो चुके थे. नवंबर 2023 के दूसरे सप्ताह में फिर टेस्ट कराया तो साइज और ज्यादा छोटा हो गया था. दिसंबर 2023 तक दवाइयां बंद हो चुकी थी. इस पूरे इलाज के दौरान मौलिक ने ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखी. 

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