श्रीगंगानगर की गाजरों ने लिखी सफलता की नई इबारत, सीजन में 100 करोड़ का कारोबार, लेकिन ये एक बड़ी समस्या
Carrots of Sri Ganganagar: गत वर्ष जहां गाजर के बंपर रेट के चलते किसानों को अच्छे दाम मिले थे. वहीं इस बार किसानों ने अपने गाजर के बिजाई क्षैत्र को भी काफी बढ़ा लिया है. इस कारण भारी मात्रा में गाजर आ रही है.k
ADVERTISEMENT
Carrots of Sri Ganganagar: हिमालय की वादियों से निकली सतलुज नदी के जरिए गंगनहर ने श्री गंगानगर की आर्थिक समृद्धि के नए आयाम स्थापित किए हैं. राजस्थान में धान का कटोरा माना जाने वाला गंगानगर अब अपनी रसीली गाजर के लिए देश भर में विख्यात होता जा रहा है. गंग नहर के किनारे के लगभग 80 किलोमीटर के क्षेत्र में किसानों ने गाजर की शानदार बुवाई करके इस सीजन में एक अरब रुपए से अधिक का कारोबार कर आर्थिक संपन्नता हासिल करने की आश संजोए हैं.
अनुमान है कि हर दिन 15,000 क्विंटल से अधिक के उत्पादन से देश भर के व्यापारी यहां आकर गाजर पूरे भारत में बेच कर शानदार लाभ कमा रहे हैं. गहरी लाल रंग रस की मात्रा अधिक लंबी और मुलायम होने के चलते श्रीगंगानगर क्षेत्र की गंग नहर के पानी से सिंचित यह गाजरे पूरे देश में सप्लाई हो रही है. यहां की बलुआ दोमट मिट्टी तथा किसानों द्वारा खेतों में गहरी जुताई करके उगाई गई गाजर अन्य गाजर के मुकाबले में काफी लंबी है.
करीब 30 किमी इलाके में बंपर पैदावार
गत वर्ष जहां गाजर के बंपर रेट के चलते किसानों को अच्छे दाम मिले थे. वहीं इस बार किसानों ने अपने गाजर के बिजाई क्षैत्र को भी काफी बढ़ा लिया है. इस कारण भारी मात्रा में गाजर आ रही है. राजस्थान-पंजाब सीमा से सटे साधु वाली में गंग नहर के पुल के आसपास के 25 से 30 किलोमीटर के इलाके में भरपूर मात्रा में गाजर का शानदार उत्पादन हो रहा है. अभी भी गाजर का आवक लगातार जारी है. गाजर के इतने शानदार उत्पादन के बावजूद यह गाजर मंडी सरकार और स्थानीय प्रशासन की उपेक्षा झेल रही है.
ADVERTISEMENT
कृषि मंडी की डिमांड नहीं हो रही पूरी
कृषि जिंसों के लिए जहां हर क्षेत्र में धान मंडी स्थापित की गई है. वहीं लगभग 100 करोड़ का हर सीजन में पैदावार देने वाली यहा की गाजर मंडी सरकार की ओर से अपेक्षा का दंश झेल रही है. राज्य सरकार द्वारा कई बार प्रयासों के बावजूद भी यहां पर गाजर मंडी के लिए कोई जगह ठीक ढंग से आवंटित नहीं की गई. इस कारण आज भी किसान अपनी गाजर खेत से लाने के बाद गंग नहर के पटरों के किनारे मशीनों में धोने के लिए लाते हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
नहर में जा रहा गंदा पानी
गौरतलब है कि दिन रात चलने वाले इन मशीनों में गंग नहर से ही पानी उठाया जाता है तथा गाजर को धोने के बाद मिट्टी मिला पानी गंग नहर में वापस प्रवाहित कर दिया जाता है इस कारण कृषि विभाग भी अनेक बार किसानों की और अन्य लोगों की शिकायतों पर इन संयंत्र को बंद करने की कार्रवाई करता है, मगर किसानों के विरोध के बाद ये संयंत्र वापस शुरू होते हैं. किसानों का कहना है कि राज्य सरकार को चाहिए कि साधुवाली क्षेत्र में गंग नहर के किनारे एलएनपी नहर की पड़ी खाली जगह पर गाजर मंडी की स्थापना की जाए, ताकि गंग नहर से ही पानी लेकर इन वॉशिंग प्लांट को वहां स्थापित किया जा सके तथा गाजर धोने के बाद वहां पानी फिल्टर होकर वापस साफ सुथरा पानी नहर में जा पाए.
रिपोर्ट: हरनेक सिंह
ADVERTISEMENT