अजमेर: 3.70 करोड़ में छूटा दरगाह की देग का ठेका, क्यों खास है यह जानिए
Ajmer News: सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 811 वां उर्स 18 जनवरी को भीलवाड़ा के गौरी परिवार द्वारा बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने के साथ शुरू हो जाएगा. 15 दिनों तक चलने वाले उर्स में देश-विदेश के लाखों पर्यटक जियारत के लिए अजमेर पहुंचते हैं. दरगाह में दो ऐतिहासिक देग भी मौजूद हैं, […]
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Ajmer News: सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 811 वां उर्स 18 जनवरी को भीलवाड़ा के गौरी परिवार द्वारा बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने के साथ शुरू हो जाएगा. 15 दिनों तक चलने वाले उर्स में देश-विदेश के लाखों पर्यटक जियारत के लिए अजमेर पहुंचते हैं. दरगाह में दो ऐतिहासिक देग भी मौजूद हैं, जिनमें जायरीन अपनी श्रद्धा के अनुसार सोना, चांदी, नगदी के साथ ही खाने की चीजें दान करते हैं.
इन देगों का दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान और अंजुमन शेखजादगान की ओर से संयुक्त रूप से ठेका दिया जाता है. ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के लिए इस बार यह ठेका 3 करोड़ 70 लाख रुपए में छूटा है. ठेके के लिए अंतिम बोली सय्यद आदिल चिश्ती और उनके साथियों ने लगाई थी. गौरतलब है की दरगाह में मौजूद दोनों देगों में मीठा भात तैयार किया जाता है जो कि जायरीन में प्रसाद के रूप में वितरित होता है.
ऐसा नहीं है कि यह देग का ठेका सिर्फ सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के उर्स के मौके पर ही छूटता हो. बल्कि विश्व विख्यात पुष्कर मेले के दौरान भी देग ठेका किया जाता है. क्योकि बड़ी संख्या में पुष्कर मेले में आने वाले श्रद्धालु गरीब नवाज की दरगाह में माथा टेकने पहुंचते है. हर बार यह ठेका उर्स और पुष्कर मेले को मिलाकर कुल 25 दिनों के लिए दिया जाता था लेकिन यह पहली बार है कि उसके लिए यह ठेका अलग से दिया गया है.
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क्या खास है दरगाह की देगों मेंं
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बड़ी देग- (रमजान 976 हिजरी 1567 ईस्वी) अकबर बादशाह ने चित्तौड़गढ़ फतेह के बाद 7 रमजान 976 हिजरी को बरोज़ शम्बा हाजिर होकर देग को पेश किया. इसमें तकरीबन 120 मन चावल एक बार में पकते है.
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छोटी देग- (1022 हिजरी 1613 ईस्वी) सुल्तान जहांगीर ने इस देग का आगरा में तैयार करवाया. दरगाह शरीफ मे पेश होकर मीठा चावल पकवा, लगभग पांच हजार लोगों को उसे खिलवाया. छोटी देग में लगभग 60 मन चावल एक बार में पकता है.
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