Rajasthan: ये है पैसे वाला पेड़! जानें कैसे होती है इसकी खेती जिससे लखपति बन जाएंगे किसान
Mohgani tree business: आज हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे लोग पैसे वाला पेड़ भी कहते हैं.
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Mohgani tree business: पश्चिमी राजस्थान (rajasthan news) में 12 जिले आते हैं जिनमें से ज्यादातर रेतीले धोरों से घिरे हुए हैं. यहां पेड़ उगाना तो दूर यहां खेती करना भी मुश्किल है. लेकिन नागौर जिले के खींवसर में टांकला गांव के किसान ने यूट्यूब को देखकर जैविक खेती और मोहगनी पेड़ की खेती करनी शुरू की. उन्होंने इस पेड़ की खेती शुरू करने से लेकर जब तक आमदनी शुरू नहीं हुई तब तक मेहनत करना नहीं छोड़ा. इस पेड़ को लोग पैसे वाला पेड़ भी कहते हैं.
किसान लिखमा राम मेघवाल ने बताया कि जो भी किसान मोहगनी की खेती करना चाहते हैं उनको उसी तरीके से खेती करनी चाहिए जिस तरीके से मैंने की है. सबसे पहले किसानों को इस पेड़ के लिए जैविक विधि का उपयोग करना चाहिए. और सबसे बड़ी बात देसी खाद और मीठे पानी का उपयोग करना चाहिए. मोहगनी के पेड़ों की जड़ों में ज्यादा दीमक लगने का खतरा रहता है. इसलिए समय-समय पर उसकी जड़ों को देखते रहना चाहिए.
ऊंचे दाम में बिकती है मोहगनी की लकड़ी
जितने भी हथियार बनाए जाते हैं उनमें मोहगनी की लकड़ी का ही यूज होता है. इसके अलावा नाव बनाने, फर्नीचर, फ्लाई वुड, सजावटी आइटम और मूर्तियों के निर्माण में भी इसका उपयोग होता है. इस पेड़ की लकड़ी की बाजार कीमत 1500 रुपए से 2000 रुपए प्रति घन फुट होती है.
एक पेड़ को पूरा होने में लगते हैं 12 साल
किसान लिखमा राम मेघवाल ने बताया कि कोरोना काल के दौरान घर पर खाली बैठे रहते थे. उस समय यूट्यूब पर देखा कि ऐसी कौनसी खेती है जो घर बैठे हो सकती है. तब यूट्यूब पर मोहगनी के बारे में देखा. सबसे पहले मैंने 100 पेड़ मोहगनी के बाजार से खरीदे. लेकिन एक रात में ही 90 पेड़ खराब हो गए जिसका मुख्य कारण यह रहा कि दीमक लग गई. 10 पेड़ जो बचे थे उन्हें बचाने के लिए मैंने हिम्मत नहीं हारी. रिसर्च और कृषि विशेषज्ञों से पूछताछ करके उनकी देखभाल की. वर्तमान में यह पौधे 3 साल के हो गए हैं. मोहगनी के एक पेड़ को पूर्ण होने में 12 वर्ष लगते हैं. जिस तरीके से मैंने इस पेड़ की खेती की है यदि कोई भी किसान इसी तरीके से खेती करेगा तो उसे कोई नुकसान नहीं होगा. यह पौधे उच्च तापमान को सहन कर सकते हैं और बारिश के दिनों में ज्यादा पानी होने पर भी उन्हें कोई नुकसान नहीं होता.
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