हनुमानगढ़: किसानों के महापड़ाव को समर्थन देने पहुंचे राकेश टिकैत, किए ये बड़े ऐलान

Gulam Nabi

03 Jul 2023 (अपडेटेड: Jul 3 2023 6:15 PM)

Mahapadav Of Farmers In Hanumangarh: भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता व किसान नेता राकेश टिकैत सोमवार को हनुमानगढ़ जिले के नोहर पहुंचे. यहां उन्होंने फसल बीमा क्लेम की मांग को लेकर चल रहे अनिश्चितकालीन महापड़ाव को समर्थन दिया. उन्होंने किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकारों पर निशाना भी साधा. राकेश टिकैत ने […]

हनुमानगढ़: किसानों के महापड़ाव को समर्थन देने पहुंचे राकेश टिकैत, किए ये बड़े ऐलान

हनुमानगढ़: किसानों के महापड़ाव को समर्थन देने पहुंचे राकेश टिकैत, किए ये बड़े ऐलान

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Mahapadav Of Farmers In Hanumangarh: भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता व किसान नेता राकेश टिकैत सोमवार को हनुमानगढ़ जिले के नोहर पहुंचे. यहां उन्होंने फसल बीमा क्लेम की मांग को लेकर चल रहे अनिश्चितकालीन महापड़ाव को समर्थन दिया. उन्होंने किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकारों पर निशाना भी साधा. राकेश टिकैत ने सभा को संबोधित करते हुए कहा- तीनों कृषि कानूनों को वापस करवाने के लिए किसानों को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी. अगर जरूरत पड़ी तो वह एक बार फिर लंबा संघर्ष कर सकते हैं.

तय समय से करीब 5 घंटा देरी से धरनास्थल पर पहुंचे राकेश टिकैत ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी विदेशों में जाकर भारतीय किसानों के साथ धोखा कर रहे हैं. जिस तरह से कश्मीर का सेब बाहर एक्सपोर्ट करने का समझौता किया गया है वह किसानों के लिए काफी नुकसानदेह साबित होगा. बीमा कंपनियों के साथ मिलीभगत कर किसानों को ठगा जा रहा है.

MSP के लिए कानून बनाने की मांग दोहराई
किसान नेता ने कहा कि सरकार किसानों को गुमराह कर रही है. एमएसपी के लिए कानून जब तक नहीं बनेगा किसानों का हित नहीं हो सकता. स्वामीनाथन की रिपोर्ट को आज तक लागू नहीं किया जा सका है जो साबित कर रहा है कि कोई भी सरकार किसानों के हित के बारे में नहीं सोचती. सिर्फ अपना फायदा सोचती है.

राकेश टिकैत ने किया ये बड़ा ऐलान
टिकैत ने बताया कि किसान की एकजुटता का ही नतीजा था कि मोदी सरकार को तीनों कानून वापस लेने पड़े. हालांकि किसानों को लंबा संघर्ष करना पड़ा. उन्होंने कहा कि अगर किसानों को जरूरत पड़ी तो वे आगे और भी लंबा संघर्ष कर सकते हैं क्योंकि किसान जमीन से जुड़ा हुआ है और वह अपने हक की लड़ाई के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.

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