Rajasthan News: राजस्थान में बजट पेश करने के बाद अब गहलोत सरकार के लिए नई परेशानी खड़ी हो गई है. जहां एक ओर गहलोत ने चिरंजीवी योजना का दायरा बढ़ाकर 25 लाख रुपए तक कर दिया है. वहीं, दूसरी ओर प्रदेश के कई हिस्सों में निजी हॉस्पिटल बंद होने की बात कही जा रही है. दरअसल, निजी हॉस्पिटल प्रबंधन सरकार की ओर से लाए जा रहे राइट टू हेल्थ के विरोध में उतर गए है. हनुमानगढ़ में इसे लेकर निजी हॉस्पिटल के सभी चिकित्सक हड़ताल पर रहे.
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चिकित्सकों ने कहा कि गहलोत सरकार मरीजों को हमारा जमाई बनाना चाहती है. जरूरत पड़ी तो वे अस्पतालों की चाबियां सरकार को सौंप देंगे और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार निजी चिकित्सालयों के लिए जो राइट टू हेल्थ का बिल लाने जा रही है, वह सरासर नाइंसाफी है.
क्योंकि जो बिल के अंदर नियम और कानून बनाए गए हैं उन्हें पूरा करना संभव ही नहीं है. अगर यह बिल आ जाता है तो निश्चित तौर पर सभी निजी चिकित्सालय बंद हो जाएंगे. हालांकि उन्होंने सरकार को कई बार सुझाव भी दिए, लेकिन उन सुझावों पर सरकार ने बिल्कुल भी गौर नहीं किया. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ चुनावी स्टंट है, इस बिल का आमजन से कोई लेना देना नहीं है. सरकार वोट बटोरने के उद्देश्य से यह बिल लाने जा रही है.
वहीं, टोंक में भी निजी अस्पताल संचालक खुलकर विरोध में उतर गए. जिले भर के लगभग 50 निजी चिकित्सालयों को बंद रखकर विरोध जताया गया. उनका कहना है कि ना सिर्फ इस बिल में कई कमियां है. बल्कि इमरजेंसी सेवाओं का कोई प्रावधान तय नहीं होने से ये बिल पूरी तरह से ग़लत है. निजी चिकित्सालय संचालकों का विरोध इस बात को लेकर भी है कि इस बिल की मॉनिटरिंग के अधिकार के लिये गठित कमेटी में कलेक्टर और अन्य अधिकारीयों के अलावा जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि निजी अस्पतालों पर सरकार दबाव बनाना चाहती है. उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर मांगे नहीं मानी तो अस्पताल अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे.
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इनपुटः मनोज तिवारी, गुलाब नबी
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