सीएम गहलोत के सामने बीजेपी ने घोषित किया उम्मीदवार, जानें कौन हैं प्रो. महेंद्र सिंह राठौड़?

Ashok gehlot vs mahendra singh rathore on sardarpura seat: राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election) के लिए बीजेपी (BJP Rajasthan) की तीसरी लिस्ट जारी हो गई है. बीजेपी ने 58 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. बीजेपी ने कुल 182 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने बीजेपी ने सरदारपुरा सीट से महेंद्र सिंह […]

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Ashok gehlot vs mahendra singh rathore on sardarpura seat: राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election) के लिए बीजेपी (BJP Rajasthan) की तीसरी लिस्ट जारी हो गई है. बीजेपी ने 58 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. बीजेपी ने कुल 182 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने बीजेपी ने सरदारपुरा सीट से महेंद्र सिंह राठौड़ को उतारा है. इसके पीछे कहीं ना कहीं वजह राजपूत वोट को साधना है. प्रो. महेंद्र सिंह राठौड़ बीजेपी के दिग्गज नेता हैं. इससे पहले वह जोधपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. लेकिन उन्होंने कांग्रेस सरकार आने के बाद इस्तीफा दे दिया था. माना जा रहा है कि उन्हें यह टिकट केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की सिफारिश पर मिला है.

बता दें कि राजस्थान में बीजेपी के कोर कमेटी की बैठक में 76 नामों पर चर्चा हुई. जिसके बाद 58 सीटों पर टिकट की घोषणा हो गई. जिसके बाद CEC में इन उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा हुई. राजस्थान विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के नामों को लेकर बीजेपी राजस्थान के कोर ग्रुप की बैठक प्रह्लाद जोशी के घर पर हुई. इस मीटिंग में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सीपी जोशी, सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़ और अर्जुन मेघवाल समेत कई अन्य नेता भी मौजूद रहे.

गहलोत को माली करते हैं वोट, राजपूत भी हैं निर्णायक

दरअसल, सरदारपुरा में मालियों के वोट सबसे ज्यादा हैं. पिछले चुनाव को देखें तो यहां पर माली उम्मीदवारों की जीत हुई है. जब 1998 में कांग्रेस का बहुमत आया तो गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया. इस दौरान वे विधानसभा के सदस्य नहीं थे. उन्होंने उपचुनाव लड़ा, जिसके लिए सरदारपुरा सीट से मानसिंह देवड़ा ने सीट छोड़ी. उसी सीट पर गहलोत चुनाव लड़े और जीते.

इससे पहले बीजेपी भी मालियों पर दांव खेलती रही है, लेकिन समाज हमेशा मजबूत जातिगत प्रत्याशी होने के चलते गहलोत को वोट करता रहा. जिसके बाद अब राजपूत समाज से आने वाले राठौड़ को बीजेपी ने वोट किया. दावेदारी जताने के दौरान महेंद्रसिंह राठौड़ का तर्क था कि परिसीमन के बाद सरदारपुरा अब राजपूत बहुल हो गया है. ऐसे में बीजेपी ने राठौड़ पर भरोसा जताया है.

गहलोत बने सीएम तो राठौड़ ने दे दिया इस्तीफा

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में 7 जुलाई 2016 को उन्हें जेडीए चैयरमेन बनाया गया था. पिछली बार साल 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान सरकार बदलते ही जिले में नैतिकता के आधार पर राठौड़ ने इस्तीफा दे दिया. सरकार बनने के बाद राजनैतिक नियुक्तियों में पहला इस्तीफा जोधपुर जेडीए चेयरमैन प्रो. राठौड़ ने दिया था. इस्तीफे के बाद उन्होंने जोधपुर स्थित जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर सेवाएं फिर से शुरू कर दी थी.

इस दौरान उन्होंने कहा था कि उन्होंने जेडीए का कर्जा उतारा और अब 40 करोड़ जमा छोड़ कर जा रहे हैं. राठौड़ के मुताबिक जब जेडीए में चेयरमैन का कार्यभार संभाला था तो करीब 600 करोड़ का कर्जा था. सवा दो साल के कार्यकाल में यह कर्जा उतारा और कई काम भी करवाए. साथ ही अब 40 करोड़ रुपए जमा के रूप में छोड़ कर जा रहे हैं.

इस सीट पर एक बार ब्राह्मण की हुई जीत

यहां 60 के दशक में एकमात्र ब्राह्मण कैंडिडेट हरिकृष्ण व्यास ने जीत हासिल की थी. उसके बाद दो बार आनंदसिंह कछावा (माली), 1967 में ओमदत्त माली, 1972 में अमृतलाल गहलोत, 1977 में माधोसिंह (माली), 3 बार मानसिंह देवड़ा (माली) और 2 बार राजेंद्र गहलोत विधायक बने हैं. उसके बाद साल 1999 से अब तक अशोक गहलोत ही यहां से चुनाव जीत रहे हैं.

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