Rajasthan Politics: उपचुनाव से पहले भारतीय आदिवासी पार्टी में खलबली, सांसद राजकुमार रोत ने ऐसा क्या किया?

राजस्थान तक

25 Aug 2024 (अपडेटेड: Aug 25 2024 2:54 PM)

Rajasthan Politics: वागड़ क्षेत्र में अपने पैर जमा चुकी भारत आदिवासी पार्टी में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा. एक तरफ राजकुमार रोत हैं, जो हाल ही में विधायक से सांसद बने हैं. तो दूसरी तरफ कांति भाई हैं जिनमें आक्रोश की चिंगारी साफ देखी जा सकती है.

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Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में मजबूती से आगे बढ़ रही बीटीपी में संकट के संकेत मिल रहे हैं. वागड़ क्षेत्र में अपने पैर जमा चुकी भारत आदिवासी पार्टी में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा. एक तरफ राजकुमार रोत हैं, जो हाल ही में विधायक से सांसद बने हैं. तो दूसरी तरफ कांति भाई हैं जिनमें आक्रोश की चिंगारी साफ देखी जा सकती है. कांति भाई रोत ने शुक्रवार को अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि जो लोग हमारे और विचारधारा के दम पर आगे बढ़ गए वो अब उनके इलाकों में हमारी उपस्थिति नहीं चाहते है, हम चले जाए तो वो मायूस हो जाते हैं. शायद अब उन्हें लगता होगा कि अब जरूरत नहीं है, अब सबकुछ हम ही हैं, बड़ा काम या जरूरत पड़ने पर भी अब हम नहीं जायेंगे देखते हैं आगे से कैसे हैंडल करते हैं. 

जब भारत बंद को लेकर आदिवासी संगठनों ने बंद आह्वान किया तब भी पार्टी दो गुटों में बंटी हुई नजर आई. राजकुमार रोत ने समाज से बंद का समर्थन करने का आग्रह किया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर आरोप लगाया कि फूट डालो और राज करो की मानसिकता वाली नीति से सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम जजों द्वारा ST- SC आरक्षित समाज को आपस में लड़ाने के फैसले का हम विरोध करते हैं. 

अपने सोशल मीडिया हैडल पर राजकुमार ने लिखा कि ST-SC को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आये फैसले के विरोध में भारत बन्द का पूर्ण समर्थन करते हैं. ये फैसला देश स्तरीय आरक्षित वर्ग की एकता को बिखेरने का काम कर रहा है. हर राज्य में ST-SC समुदाय की अलग-अलग परिस्थिति हैं, इस स्थिति में सरकारें सच में ST-SC समुदाय का भला चाहती हैं तो राजस्थान राज्य में गैर अनुसूचित क्षेत्र, अनुसूचित क्षेत्र एवं रेगिस्तान ट्राइबल क्षेत्र के हिसाब से ST-SC के वंचित परिवारों को लाभ दे सकती है, लेकिन ऐसा नहीं करके उप जाति एवं आर्थिक आधार पर बांटकर भाई-भाई को लड़ाने का प्रयास किया गया है.

जबकि इसी मुद्दे पर कांति भाई रोत ने लिखा कि जरा कोई बताएगा कि 21 तारीख को भारत बंद का आह्वान कौनसे संगठन ने किया है,  2 अप्रैल की घटना झेल चुके हैं. हवाई फायर आदेश नहीं चलेगा. अब इससे साफ जाहिर है कि पार्टी में विचारों को लेकर गतिरोध है. इसे लेकर जब राजस्थान तक ने क्रांति भाई रोत से बात की तो उन्होंने कहा कि 2 अप्रैल को दंश हम सबने झेला हैं.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि असल में मुख्य लड़ाई पार्टी में वर्चस्व और पद की है. चौरासी की खाली हुई विधानसभा सीट पर कांति भाई रोत चाहते हैं वो उपचुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे. कांति भाई 2019 में लोकसभा और 2023 में डूंगरपुर सीट से विधानसभा लड़ चुके हैं. लेकिन राजकुमार रोत वाला गुट चाहता है कि उनका कोई विश्वस्त को टिकट मिल जाए.

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