Video: संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर भड़के लोकसभा स्पीकर और कोटा के सांसद ओम बिड़ला

राजस्थान तक

02 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 2 2024 5:16 PM)

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (Speaker Om Birla) ने पहले पीएम नरेंद्र मोदी को इशारे से बैठने को कहा और फिर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर भड़क गए.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कुछ लोगों की पीड़ा मैं समझ सकता हूं कि लगातार झूठ चलाने के बावजूद उनकी घोर पराजय हुई. इतना बोलते ही विपक्ष ने सदन में जोरदार हंगामा कर दिया. विपक्ष से न्याय दो-न्याय दो का नारा लगने लगा. इस दौरान लोकसभा स्पीकर और कोटा से सांसद ओम बिरला (Speaker Om Birla) ने पीएम मोदी को इशारे से बैठने को कहा और फिर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर जमकर भड़क गए.

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए बिरला ने कहा, "माननीय प्रतिपक्ष के नेता ये आपको शोभा नहीं देता. आपको पर्याप्त समय दिया है. यह शोभा नहीं देता कि आप सदन में डायरेक्शन दो. माननीय नेता जब बोल रहे हैं जब आप खड़े हो रहे हो, यह आपके लिए शोभा नहीं देता. संसदीय परंपराओं के अनुसार यह उचित नहीं है. आपका ये तरीका गलत है और इस तरीके से बिल्कुल नहीं चलेगा. आप संसद की गरिमा को तोड़ना चाहते हैं. आप लोगों को वेल में आने के लिए डायरेक्शन देते हैं."

"पहले सिर्फ घोटालों की खबरें पढ़ने को मिलती थी"

हंगामे के बाद लोकसभा में दोबारा बोलने के लिए खड़े हुए पीएम मोदी ने कहा, "अगर 2014 के उन दिनों को याद करें तो हमें लगेगा कि हमारे देश के लोगों ने अपना आत्मविश्वास खो दिया था. देश निराशा की खाई में डूब गया था. कुछ समय के लिए तो आम आदमी के मुंह से ये निकल जाता था कि 'इस देश का कुछ नहीं हो सकता'. भारतीयों की हताशा के ये शब्द एक तरह की पहचान बन गए थे. कुछ समय के लिए तो हम जब रोज अख़बार खोलते थे तो सिर्फ घोटालों की खबरें ही पढ़ते थे."

PM मोदी ने फर्स्ट टाइम MPs का भी किया जिक्र

पीएम मोदी ने अपने भाषण में पहली बार चुनकर आए सांसदों की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि "पहली बार जो हमारे बीच सांसद बनकर आए हैं, उन्होंने संसद के सभी नियमों का पालन करते हुए अपने विचार रखे. उनका व्यवहार ऐसा था, जैसा किसी अनुभवी सांसद का होता है. इसलिए पहली बार आने के बावजूद भी उन्होंने सदन की गरिमा बढ़ाई और अपने विचारों से बहस को मूल्यवान बनाया."

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