नागौर की बजाय सीकर में क्यों आ रहे PM मोदी, जाटलैंड में दौरे के क्या हैं मायने? जानें

PM modi’s visit in Sikar: राजस्थान विधानसभा चुनाव के करीब आते ही प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस (Rajasthan Congress), विपक्षी पार्टी बीजेपी (Rajasthan BJP) और आरएलपी (RLP) के अलावा अन्य राजनैतिक पार्टियां एक्टिव हो गईं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के दौरे भी शुरू हो गए हैं. इसी बीच नागौर में प्रस्तावित इनके दौरे […]

नागौर की बजाय सीकर में क्यों आ रहे PM मोदी, जाटलैंड में दौरे के क्या हैं मायने? जानें

नागौर की बजाय सीकर में क्यों आ रहे PM मोदी, जाटलैंड में दौरे के क्या हैं मायने? जानें

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PM modi’s visit in Sikar: राजस्थान विधानसभा चुनाव के करीब आते ही प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस (Rajasthan Congress), विपक्षी पार्टी बीजेपी (Rajasthan BJP) और आरएलपी (RLP) के अलावा अन्य राजनैतिक पार्टियां एक्टिव हो गईं हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के दौरे भी शुरू हो गए हैं. इसी बीच नागौर में प्रस्तावित इनके दौरे को कैंसिल कर अचानक सीकर में कर दिया गया. इसके बाद सियासी गलियारों में ये चर्चा शुरू हो गई कि ऐन वक्त में ये दौरा क्यों कैंसिल कर दिया गया. सीकर दौरे के क्या हैं मायने?

माना जा रहा है कि अब पीएम मोदी सीकर आकर राजस्थान के शेखावाटी के जाटों को साधेंगे. इस इलाके में सीकर, झुंझुनू और चूरू जिले आते हैं जिसे जाटलैंड कहा जाता है. जाट बाहुल्य शेखावाटी में वर्ष 2018 में 21 में से बीजेपी महज 2 सीटों पर सिमट कर रह गई. वहीं कांग्रेस पार्टी ने यहां 17 सीटों पर कब्जा कर लिया था. इस इलाके में हनुमान बेनीवाल की आरएलपी का खाता भी नहीं खुल पाया. वहीं बसपा और निर्दलीय ने भी एक-एक सीट पर कब्जा जमा लिया.

वर्ष 2013 में मोदी लहर में धराशाई हो गई कांग्रेस
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर का इतना प्रभाव था कि शेखावाटी में कांग्रेस पार्टी को 21 सीटों में से महज 4 सीटें मिली थीं. वहीं भाजपा की झोली में 12 सीटें आईं. अब पीएम मोदी जाटलैंड में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की तैयारी में हैं.

अन्य पार्टियों का भी दबदबा?
देखा जाय तो शेखावाटी में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा बसपा या निर्दलीय के खाते में भी कुछ सीटें आती रही हैं. 2018 के चुनाव में एक सीट बसपा और एक सीट निर्दलीय की झोली में गिरी थी. वहीं 2013 के चुनाव में 5 सीटें अन्य पार्टियों के हिस्से में गई थीं. वर्ष 2008 में 4 और 2003 में 20 सीटों में 4 सीटों पर अन्य पार्टियों ने कब्जा जमाया था.

शेखावाटी में इन मुद्दों पर रहेगी नजर
पीएम मोदी शेखावाटी से ही ‘प्रणाम योजना’ का शुभारंभ करेंगे. वहीं किसान सम्मान निधि की 14वीं किस्त के रूप में 20 हजार करोड़ रुपए भी किसानों के खातों में ट्रांसफर करेंगे. वे यहां कांग्रेस की गहलोत सरकार को पेपर लीक, RPSC, जोधपुर गैंगरेप और 4 लोगों की जघन्य हत्या जैसे मामलों पर घेरेंगे. चूंकि शेखावाटी में किसानों के साथ ही स्थानीय मुद्दे ज्वलंत रहते हैं. ऐसे में इस दौरे में पीएम मोदी के केंद्र में किसान होंगे.

अचानक नागौर से सीकर क्यों?
सवाल ये है कि अचानक पीएम मोदी का दौरा नागौर से बदलकर सीकर क्यों? माना जा रहा है कि पूर्व सहयोगी पार्टी आरएलपी में पीएम मोदी अब संभावना तलाशने लगे हैं. तो क्या बेनीवाल के प्रभाव वाले क्षेत्र में न जाकर पीएम मोदी उन्हें दोस्ती का एक मौका दे रहे हैं? गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बेनीवाल ने भाजपा के साथ गठबंधन किया और नागौर से सांसद बने. किसान आंदोलन के समय बेनीवाल ने किसानों का पक्ष लेते हुए ये गठबंधन तोड़ दिया. इसके बाद से उनके बयान आते रहे हैं कि वे कांग्रेस और बीजेपी से किसी भी कीमत पर गठबंधन नहीं करेंगे. हालांकि सियासत में कुछ भी संभव है. कुछ दिनों पहले तक सचिन पायलट के साथ मिलकर कांग्रेस और बीजेपी को हराने की संभावना देखने वाले बेनीवाल अब उनपर भी हमलावर हैं.

एक कारण ये भी…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा 28 जुलाई को नागौर के खींवसर में प्रस्तावित था. इसके लिए तैयारियां भी जोर-शोर से की जा रही थीं. बताया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी दौरे का जायजा लेने पहुंचे थे तब वहां लोगों ने काले झंडे दिखाए और मोदी के खिलाफ नारेबाजी की. ये सूचना दिल्ली पहुंच गई और दौरा कैंसिल कर दिया गया. ध्यान देने वाली बात है कि नागौर के खींवसर में हनुमान बेनीवाल का दबदबा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में वे नागौर के खींवसर से विधायक चुने गए थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में वे नागौर लोकसभा सीट से सांसद बने और खींवसर के उपचुनाव में उनके भाई नारायण बेनीवाल ने जीत दर्ज की.

शेखावाटी के 21 सीटों वर्तमान में ये है गणित
1- सीकर – कांग्रेस- राजेन्द्र पारीक
2- फतेहपुर – कांग्रेस- हाकम अली
3- लक्ष्मणगढ – कांग्रेस- गोविंद सिंह डोटासरा
4- खंडेला- निर्दलीय- महादेव सिंह
5- श्रीमाधोपुर – कांग्रेस- दीपेन्द्र सिंह
6- नीमकाथाना- कांग्रेस- सुरेश मोदी
7- धोद- कांग्रेस- परसराम मोरदिया
8- दांतारामगढ़- कांग्रेस- वीरेन्द्र सिंह
9- झुंझुनूं- कांग्रेस- बृजेन्द्र ओला
10- पिलानी-कांग्रेस- जेपी चंदेलिया
11- खेतड़ी-कांग्रेस- डॉ. जितेन्द्र सिंह
12- नवलगढ़-कांग्रेस- डॉ. राजकुमार शर्मा
13- उदयपुरवाटी- बीएसपी- राजेन्द्र सिंह गुढ़ा
14- मंडावा- भाजपा- नरेन्द्र कुमार
15- सूरजगढ़-भाजपा- सुभाष पूनिया
16- चूरू-भाजपा- राजेन्द्र राठौड़
17- सादुलपुर-कांग्रेस- कृष्णा पूनिया
18- सुजानगढ़-कांग्रेस- मास्टर भंवरलाल मेघवाल
19- सरदारशहर-कांग्रेस- भंवरलाल शर्मा
20- तारानगर- कांग्रेस- नरेन्द्र बुड़ानिया
21- रतनगढ़-कांग्रेस- अभिनेष महर्षि

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