मां पीताम्बरा की शरण में पहुंची राजे, नेहरू से लेकर अमित शाह भी यहां आ चुके, इसके पीछे है खास वजह

Umesh Mishra

24 Oct 2023 (अपडेटेड: Oct 24 2023 10:15 AM)

Story behind Vasundhara raje’s visit in Datia shaktipeeth: राजस्थान में विधानसभा चुनाव (rajasthan election 2023) की तैयारियों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (vasundhara raje) दतिया (मध्य प्रदेश) में मां पीताम्बरा शक्तिपीठ के दर्शन करने पहुंचीं. दरअसल, इस शक्ति पीठ की अपनी खासियत है. मां पीताम्बरा का यह शक्तिपीठ देश के शक्तिपीठों में से एक […]

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Story behind Vasundhara raje’s visit in Datia shaktipeeth: राजस्थान में विधानसभा चुनाव (rajasthan election 2023) की तैयारियों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (vasundhara raje) दतिया (मध्य प्रदेश) में मां पीताम्बरा शक्तिपीठ के दर्शन करने पहुंचीं. दरअसल, इस शक्ति पीठ की अपनी खासियत है. मां पीताम्बरा का यह शक्तिपीठ देश के शक्तिपीठों में से एक है. जिनको सत्ता की देवी कहते हैं.

दतिया वाले स्वामी महाराज ने इसकी स्थापना साल 1920 से 1935 के मध्य की थी. जिस जगह यह पीठ बना हुआ हैं, वहां पहले श्मशान था. लेकिन आज यहां विश्वप्रसिद्ध मातारानी का मंदिर हैं. पीताम्बरा पीठ परिसर धूमावती मातारानी का मंदिर हैं, जो देश में एक मात्र मंदिर हैं. साथ ही मन्दिर में बगलामुखी मातारानी की सुन्दर प्रतिमा हैं. वसुंधरा राजे ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं.

शक्तिपीठ स्थापना को लेकर खास है ये किस्सा

जनश्रुति के मुताबिक पीताम्बरा पीठ शक्ति प्रांगण में धूमावती की स्थापना नहीं करने के लिए उस समय कई संतो ने स्वामी महाराज से मना किया था. लेकिन स्वामी महाराज ने उन संतों से कहा कि मां धूमावती का भयंकर रूप दुष्टों का संहार करने के लिए है और अपने भक्तों के लिए मां अति दयालु हैं. धूमावती मां की जब स्थापना हुई थी, उसी दिन से स्वामी महाराज ने ब्रह्मलीन में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी. इस शक्तिपीठ में नमकीन मंगोडे,कचोरी और समोसे आदि का भोग लगाया जाता है.

वसुंधरा पर जब भी संकट आया, उन्होंने माता का लिया आशीर्वाद

पूर्व सीएम राजे पर जब जब संकट के बादल आए हैं तो वह पीताम्बरा पीठ मातारानी के दरबार में दस्तक देती हैं. हाल ही में पार्टी ने वसुंधरा राजे को झालरापाटन विधानसभा से उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले बीजेपी की पहली सूची में पूर्व सीएम राजे का टिकिट फाइनल नहीं हुआ तो चुनाव में उनकी भूमिका को लेकर कयास लग रहे थे.

चीन ने किया आक्रमण तो नेहरू पहुंचे माता की शरण में

मान्यता है कि पीताम्बरा पीठ पर विराजमान बगलामुखी मैया का स्वरूप रक्षात्मक है. साल 1962 में जब चीन ने भारत पर हमला कर दिया था. उस समय तत्कालनी प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे. उस समय भारत के मित्र देश रूस ने भी सहयोग देने से मना कर दिया था. उस समय किसी विद्वान संत ने जवाहर लाल नेहरू से दतिया वाले स्वामी महाराज से मिलने की बात कही.

इसके बाद जवाहर लाल नेहरू दतिया आए और उन्होंने स्वामी महाराज से मुलाकात की. स्वामी महाराज ने जवाहर लाल नेहरू से राष्ट्रहित में एक यज्ञ करने की बात कही. पीठ पर आयोजित हुए यज्ञ में विद्वान पंडितों, तांत्रिकों और जवाहर लाल नेहरू को यजमान बनाकर यज्ञ प्रारंभ किया गया. 9वें दिन जब यज्ञ का समापन होने वाला था, साथ ही पूर्णाहुति डाली जा रही थी. उसी समय संयुक्त राष्ट्र संघ का संदेश नेहरू को मिला कि चीन ने आक्रमण रोक दिया है. पीताम्बरा पीठ परिसर में वह यज्ञशाला आज भी बनी हुई है.

यहां आते हैं शिवराज सिंह चौहान, अमित शाह समेत कई दिग्गज 

बता दें कि पीतांबरा मैया को सत्ता की देवी कहते है और सत्ता की कामना रखने वाले श्रद्धालु यहां आकर गुप्त पूजा अर्चना करते हैं. माधवराव सिंधिया और उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, उमा भारती, सीएम शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री अमित शाह भी यहां अक्सर पूजा-अर्चना करने आते हैं.

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