सरकार रिपीट करने के लिए CM गहलोत ने बर्थडे पर बनाया ऐसा प्लान कि विरोधी भी रह जाएंगे दंग, जानें

Rajasthan Politics: राजस्थान में किसी भी सूरत में सरकार रिपीट करने की कोशिश में लगे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बार अपने जन्मदिन पर ऐसा प्लान बनाया है कि विरोधी भी दंग रह जाएंगे. इस बार उनकी नजर आदिवासी वोट बैंक पर है. शायद यही वजह है कि गहलोत ने अपने जन्मदिन के मौके को […]

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Rajasthan Politics: राजस्थान में किसी भी सूरत में सरकार रिपीट करने की कोशिश में लगे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बार अपने जन्मदिन पर ऐसा प्लान बनाया है कि विरोधी भी दंग रह जाएंगे. इस बार उनकी नजर आदिवासी वोट बैंक पर है. शायद यही वजह है कि गहलोत ने अपने जन्मदिन के मौके को आदिवासियों में सहानुभूति तब्दील करने के लिए चुना है. वह महंगाई राहत शिविर के बहाने उन तक अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहते हैं.

गौरतलब है कि सीएम गहलोत आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कोटड़ा में अपना 72वां जन्मदिन मनाकर सादगी और गांधीवादी नेता की छवि पेश करने की कोशिश करेंगे. यह गहलोत का 1 साल में 15वीं बार मेवाड़ दौरा है. कोटड़ा, झाडोल में दौरे के जरिये वे उदयपुर ही नहीं, बल्कि सिरोही, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, राजसमन्द और प्रतापगढ़ की सीटों पर आदिवासी वोटबैंक पर अपनी मजबूती चाहते हैं.

इन सीटों पर है आदिवासियों का प्रभाव
उदयपुर जिले की झाड़ोल, सलूंबर, खेरवाड़ा, गोगुंदा और उदयपुर ग्रामीण, बांसवाड़ा जिले की घाटोल, गढ़ी, बांसवाड़ा, कुशलगढ़ और बागीदौरा, डूंगरपुर जिले की डूंगरपुर, सागवाड़ा, चौरासी और आसपुर, प्रतापगढ़ जिले में धरियावद और प्रतापगढ़, राजसमंद जिले की कुंभलगढ़ विधानसभा सीट आदिवासी बहुल सीट हैं.

मेवाड़ में ये है कांग्रेस का हाल
वर्तमान में मेवाड़ की 28 में से 11 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं. भाजपा के पास उदयपुर शहर सीट समेत 14 सीटें, बीटीपी के पास 2 और एक पर निर्दलीय विधायक है. अगर कांग्रेस आगामी विधानसभा में मेवाड़ में भाजपा को पछाड़ सकी तो सरकार के रिपीट होने की संभावना प्रबल होगी.

मेवाड़ से होकर जाता है सरकार बनाने का रास्ता!
असल में 2018 से पहले तक यह ट्रेंड रहा है कि जो मेवाड़ जीतता है प्रदेश में उसी की सरकार बनती है. 2018 में कांग्रेस मेवाड़ में पिछड़ गई तो उसे सत्ता में बने रहने के लिए दो बार बाड़ेबंदी तक करनी पड़ी. कांग्रेस और उसके सहयोगियों के पास प्रदेश की 200 में से करीब 108 सीटें हैं. दरअसल, प्रदेश की 200 सीटों में से 34 अनुसूचित जाति और 25 अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं.

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