Rajiv Gandhi connection with Mangarh dham: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress Leader Rahul Gandhi) आज विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) के कार्यक्रम में शामिल होंगे. बांसवाड़ा (Banswara News) के मानगढ़ धाम (Mangarh Dham) में कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. ये दिन इसलिए भी कांग्रेस पार्टी के लिए खास है क्योंकि 38 साल पहले इसी दिन पूर्व प्रधानमंत्री और राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी पत्नी सोनिया संग यहां आए थे.
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इस दौरे को इसलिए भी ऐतिहासिक माना जाता है क्यों कि इसी धरती से ही राजीव गांधी ने देश के सभी आदिवासियों को सस्ता गेहूं, बिजली, पानी और मकान की सौगात दी थी.
एक लेटर ने पूर्व PM को पहुंचाया धनोल गांव
इन योजनाओं को खेरवाड़ा के धनोल (छाणी) गांव से शुरू किया गया. यह योजना प्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर के लिए सौगात थी. राजीव गांधी ने इस आदिवासी अंचल से देशभर के जनजाति बहुल इलाकों के विकास के मकसद से योजना शुरू की. इंदिरा आवास योजना, सस्ता अनाज, जीवनधारा और कुटीर योजना आदि स्कीम की घोषणा की.
8 अगस्त 1985 को उदयपुर के खेरवाड़ा इलाके में दौरे पर आए तो राजीव गांधी ने पैदल यात्रा कर आदिवासी इलाकों का जायजा लिया. यहां राजीव गांधी को आदिवासी इलाकों की वास्तविक चुनौतियों का अंदाजा लगा था. खास बात यह है कि इस दौरे से पहले आदिवासी बेल्ट के ही एक व्यक्ति ने राजीव गांधी को टेलीग्राम भेज दिया था. टेलीग्राम में लिखा गया था कि अगर आपको वास्तव में आदिवासी इलाकों के हाल देखने हैं तो खेरवाड़ा के धनोल गांव में आकर देखें. वो टेलिग्राम राजीव गांधी ने अपने पास रख लिया था.
विधानसभा में कांग्रेस की मिला था भारी बहुमत
यह दौरा इसलिए खास था क्योंकि इसी दौरे के बाद देशभर में आदिवासियों को सस्ता गेहूं देने की शुरुआत हुई थी. साथ ही कई महत्वपूर्ण योजनाओं को राजीव गांधी ने राजस्थान के उसी दौरे की मदद से धरातल पर उतारा था. इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी, बलराम जाखड़ और शीला कौल भी मौजूद थे. मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के साथ जीप में दौरा करते राजीव गांधी जब गांव पहुंचे तो जीप में आगे की तरफ सोनिया गांधी बैठीं थी. उनके दौरे के बाद कांग्रेस को राजस्थान में भारी बहुमत मिला था.इस दौरे के बाद राजस्थान में 1985 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को सीधी जीती मिली थी. तब कांग्रेस ने 113 सीटें हासिल की थी, जबकि बीजेपी को महज 39 सीटों पर ही जीत मिल पाई थी.
पैदल चलकर जाना पड़ा गांव में
यहां राजीव गांधी और सोनिया ने कागणी कुरी की रोटी खाई थी. दरअसल, राजीव गांधी ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम को बदल दिया था. वह अचानक ही धनोल पाली की दूरदराज बस्ती में 3 किमी कच्चे और कीचड़ भरे बस्ते से पैद चलकर पहुंचे. इस दौरान उनके साथ सोनिया गांधी भी थी. दोनों पैदल चलते हुए एक झोपड़ी में पहुंचे. जहां उन्होंने आदिवासी परिवारों के रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज और उनकी आर्थिक स्थिति का बारीकी से जायजा लिया था.
उदयपुर के पूर्व जिला उप प्रमुख और गांधी ग्राम जन जागरण अभियान के संयोजक लक्ष्मीनारायण पंड्या बताते हैं कि राजीव गांधी ने आदिवासी परिवार की झोपड़ी में रखी हुई कागनी-कुरी अनाज से बनी रोटी को चखा था, लेकिन इसका स्वाद कुछ अलग था. तभी उन्होंने पूछा कि गेहूं की रोटी क्यों नहीं बनाते हो. तब आदिवासी दपंत्ति ने अपना दर्द बताते हुए कहा कि गेहूं की कीमत काफी ज्यादा है. जिसके बाद राजीव गांधी दिल्ली जाते ही पूरे देश के आदिवासी क्षेत्र में डेढ़ रूपए प्रति किलों अनाज देने की योजना शुरू की.
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