सियासी किस्से: राजस्थान का ऐसा CM जो सरकारी बंगले में नहीं बल्कि दोस्त के मकान में रहा

राजस्थान तक

20 Jul 2023 (अपडेटेड: Jul 20 2023 2:43 PM)

Siasi Kisse Rajasthan: किसी भी प्रदेश या देश के लिए सालाना बजट काफी अहम होता है. इस बजट का आधार होता है टैक्स. लेकिन क्या आपने सुना है कि कभी टैक्स फ्री बजट लाया गया हो. ऐसा हुआ राजस्थान में, जब पहला टैक्स फ्री बजट पूर्व मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल ने पेश किया. पालीवाल प्रदेश के […]

Rajasthantak
follow google news

Siasi Kisse Rajasthan: किसी भी प्रदेश या देश के लिए सालाना बजट काफी अहम होता है. इस बजट का आधार होता है टैक्स. लेकिन क्या आपने सुना है कि कभी टैक्स फ्री बजट लाया गया हो. ऐसा हुआ राजस्थान में, जब पहला टैक्स फ्री बजट पूर्व मुख्यमंत्री टीकाराम पालीवाल ने पेश किया. पालीवाल प्रदेश के चौथे मुख्यमंत्री और निर्वाचित होने वाले पहले मुख्यमंत्री भी थे. पालीवाल को भूमि सुधार का जनक भी कहा जाता है. सियासी किस्से की सीरीज में बात टीकाराम पालीवाल (Tikaram paliwal) से जुड़े उसी रोचक किस्से की, जो अपनी सादगी और गांधीवादी छवि के लिए आज भी याद किए जाते हैं.

यह भी पढ़ें...

पूर्व सीएम पालीवाल की लोकप्रियता ऐसी थी कि जब 1952 में मुख्यमंत्री रहते जयनारायण व्यास जोधपुर और जालौर दोनों जगह से चुनाव हार गए थे. पालीवाल महवा और मलारना दोनों सीटों से चुनाव जीते. जयनारायण व्यास के चुनाव हारने के बाद पालीवाल को सीएम बनाया गया. 3 मार्च 1952 को सीएम बनने वाले पालीवाल महज आठ माह इस पद पर रहे. वह राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री थे.

पालीवाल का जन्म दौसा के महवा उपखण्ड में मंडावर कस्बे के एक साधारण परिवार में 24 अप्रैल 1909 को हुआ. बहुमुखी प्रतिभा के धनी टीकाराम की शुरूआती पढ़ाई मंडावर, राजगढ़ व दिल्ली में हुई. वे मेरठ कोर्ट में वकील भी रहे और इसी दौरान उनका संपर्क कांग्रेसी नेताओं से हुआ. वह महवा से 1952 और 1957 में दो बार विधायक चुने गए. वह प्रदेश के राजस्व मंत्री, वित्त मंत्री, उप मुख्यमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री जैसे पदों पर रहे.

यह भी पढ़ेंः मंत्री बन जिस कोठी में रहने गए राजेश पायलट वहां का किस्सा सुन पत्नी रमा रह गईं दंग, पढ़ें ये सियासी किस्सा

टीकाराम पालीवाल की प्रारम्भिक शिक्षा मंडावर, राजगढ़ व दिल्ली में हुई. वे मेरठ न्यायालय में अधिवक्ता भी रहे. इस दौरान उनका कांग्रेस पार्टी के नेताओं से सम्पर्क हुआ. उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन में भी भागीदारी निभाई. हालांकि परंपरा के अनुसार उन्होंने खुद बजट पेश नहीं किया था. इसकी जगह तत्कालीन वित्त मंत्री नाथूराम मिर्धा ने बजट पेश किया था. मात्र 17 करोड़ 25 लाख रुपये के इस बजट की ज्यादातर घोषणाएं सिंचाई, पेयजल और सूखे से संबंधित योजनाओं पर केंद्रित थी.

सीएम बनने के बाद भी कभी सरकारी बंगले में नहीं रहे
टीकाराम पालीवाल के बारे में कहा जाता है कि वह बेहद सादगी पसंद, मिलनसार और मेहनती व्यक्तित्व के थे. उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए और पदमुक्त होने के बाद भी कभी सरकारी बंगला नहीं लिया. वे जयपुर में न्यू कॉलोनी पांच बत्ती चौराहा पर अपने दोस्त कालाडेरा के सेठ रामगोपाल सेहरिया के मकान में ही रहे. 8 फरवरी 1995 को 86 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई. टीकाराम पालीवाल बेहद सादगी पसंद गांधीवादी शख्सियत थे. उनकी सादगी और उच्च विचारों की चर्चा आज भी राजनीतिक गलियारों में अक्सर सुनने को मिल जाती है.

दिल्ली से मिला इशारा और छोड़ दिया सीएम पद
दिल्ली से इशारा मिलने के बाद टीकाराम पालीवाल ने सीएम पद छोड़ दिया. 1 नवंबर 1952 को जयनारायण व्यास फिर से राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए. इस दौरान पालीवाल को डिप्टी सीएम बनाया गया. इसके साथ ही वह देश के उन गिने चुने मुख्यमंत्रियों में शामिल हो गए जो सीएम रहने के बाद डिप्टी सीएम बने हों. टीकाराम पालीवाल का जन्म स्थान मंडावर विकास की दृष्टि से आज भी काफी पीछे है. यहां किसी स्कूल या सड़क का नामकरण तक उनके नाम पर नहीं है और न ही उनकी कोई मूर्ति लगी है. हालांकि उपखंड मुख्यालय महवा स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का नाम उनके ही नाम पर है. गांधीवादी और अपनी सादगी के लिए प्रसिद्ध ऐसे नेता को आज की सरकारों द्वारा याद नहीं किया जाना वास्तव में चिंता का विषय है.

यह भी पढ़ें: इंदिरा गांधी को रास नहीं आई थी अपने ही सांसद की फिल्म, इमर्जेंसी के बाद चुनाव में बना ये मुद्दा

    follow google newsfollow whatsapp