Exclusive Interview Of Sachin Pilot: राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में कांग्रेस, बीजेपी, आरएलपी समेत दूसरी पार्टियों ने कमर कस ली है. सरदारशहर के उपचुनाव को पार्टियां सेमी फाइनल के तौर पर ले रही हैं. इन तैयारियों के बीच प्रदेश में सरकार के फिर रिपीट होने की संभावनाओं और फॉर्मूले पर Rajasthan Tak ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट से खास बात की. बातचीत में पायलट ने आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की सरकार रिपीट करने के लिए इशारों में प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन को जरूरी बताया.
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सचिन पायलट ने कहा- “मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समय 2003 में 56 सीटें आईं. 2013 में फिर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सीएम थे और हम 21 सीटों पर ही सिमट गए. इसलिए इस चुनाव में सरकार रिपीट करने के लिए कुछ अलग करना होगा. इसपर हमें जल्द कार्यवाही करनी चाहिए.”
हमें जनता को दिए वादे पूरे करने होंगे- पायलट
सचिन पायलट ने कहा- “देखिए हमने बीजेपी के कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष किया था और जनता से वसुंधरा सरकार के कुशासन पर कड़ा प्रहार का वादा किया था, लेकिन सरकार में आने के बाद हमने उस दिशा में अब तक क्या किया? कुछ नहीं किया. जनता से किए वादे हमें पूरे करने होंगे. हमने वसुंधरा सरकार के दौरान हुए किसी कारनामे की जांच नहीं की, जिसके खिलाफ हमारे साथ जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं ने सड़क पर संघर्ष किया था. ऐसा होता नहीं है. हमें हमारे वादे पूरे करने होते हैं, जिससे जनता के मन में भरोसा पैदा हो.
महिला और दलित सुरक्षा पार्टी का कमिटमेंट है- पायलट
पायलट ने आगे कहा- ‘राजस्थान की महिलाओं और दलितों की सुरक्षा का कांग्रेस पार्टी का कमिटमेंट है. उस कमिटमेंट पर हम खरा नहीं उतरेंगे तो सरकार कैसे रिपीट करवा पाएंगे. बेरोजगारों से किया वादा हो या संविदाकर्मियों से किया वादा हो, हम उनकी तकलीफ को कैसे कम कर पाएंगे. यह हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. किसानों की लड़ाई हमने लड़ी. सरकार बनी, राहुल जी जो वादा किए थे उन वादों को पूरा करने की जिम्मेदारी हमारी है. उन्होंने बेहतरी का वादा किया था जिस पर गौर करना होगा.’
पायलट ने उठाया सवाल- विधायकों का विश्वास खो चुके हैं गहलोत?
25 सितंबर वाली घटना का जिक्र करते हुए सचिन पायलट ने कहा- ‘मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधायक दल के नेता हैं. अगर उन्होंने अपने घर पर विधायक दल की बैठक बुलाई और विधायक नहीं आए तो क्या इसका मतलब यह है कि वो राजस्थान के विधायकों का विश्वास खो चुके हैं? अगर ऐसा नहीं है तो जिम्मदारी तय होनी चाहिए. मुख्यमंत्री हो या कोई भी हो इस जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है.
कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है- पायलट
सचिन पायलट ने 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में गहलोत गुट के विधायकों के नहीं आने और बैठक के समानांतर मीटिंग करने के सवाल पर कहा- मुख्यमंत्री को अगर पता नहीं था तो क्या उन्होंने जिम्मदारों पर कोई कार्रवाई की. कांग्रेस के आज तक के इतिहास में ऐसी घटना नहीं हुई. हमारे वरिष्ठ नेता और प्रभारी पर्यवेक्षक बनकर आए थे. उनको अपमानित किया गया. विधायक दल की बैठक होती, पार्टी की परंपरा का पालन होता, विधायकों या नेताओं के बीच सहमति-असहमति हो सकती है, लेकिन ये विधायक दल की बैठक में होना चाहिए था. इसलिए 25 सितंबर की घटना गंभीर घटना है.
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