Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही नए-नए समीकरण नजर आ रहे है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की गुटबाजी में अब रामेश्वर डूडी की एंट्री हो गई है. बीकानेर जिले के नोखा के पास जसरासर में किसान सम्मेलन का आयोजन होगा.
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डूडी इस सम्मेलन के जरिए शक्ति प्रदर्शन करेंगे. जिसमें गहलोत, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और सभी मंत्रियों, कांग्रेस विधायकों को न्यौता दिया गया है. खास बात यह है कि इस किसान सम्मेलन में पायलट नहीं होंगे. वजह यह है कि उन्हें इस कार्यक्रम का न्यौता नहीं देकर इससे दूर रखा गया है.
राजस्थान कृषि उद्योग विकास बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व नेता प्रतिपक्ष डूडी के आयोजन के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. क्योंकि वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ बतौर नेता प्रतिपक्ष डूडी और पूर्व पीसीसी चीफ पायलट, दोनों ने मिलकर पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार को सड़क पर जमकर घेरा था.
डूडी लगातार बढ़ा रहे ताकत!
बीतें कुछ समय से डूडी की ताकत भी बढ़ती दिख रही है. करीब दो महीने पहले छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में हुए कांग्रेस के 85वें राष्ट्रीय अधिवेशन में भी कुछ ऐसे ही संकेत देखने को मिले थे. तीन दिन तक चले इस अधिवेशन में पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी समेत देशभर के कांग्रेसी दिग्गज शामिल हुए थे.
वहीं, राजस्थान से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा, एआईसीसी महासचिव हरीश चौधरी, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित तमाम मंत्री, विधायक और संगठन के पदाधिकारी भी मौजूद थे.
अधिवेशन में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली घटना पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी के भाषण की रही, जब अधिवेशन में ना गहलोत और ना ही किसी अन्य पदाधिकारियों को बोलने का मौका मिला. बल्कि कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी को अधिवेशन में भाषण देने का मौका दिया. गहलोत से ज्यादा तवज्जो रामेश्वर डूडी को मिलने से राजनैतिक गलियारों में नई चर्चाएं छिड़ गई थी.
साल 2019 में गहलोत के बेटे को दी थी चुनौती
वहीं, साल 2019 तक गहलोत और डूडी के बीच जमकर अदावत देखने को मिली थी. डूडी ने गहलोत पर जमकर वार किया था. जब वैभव गहलोत और डूडी दोनों के बीच राजस्थान क्रिकेट संघ (आरसीए) के लिए मुकाबला दिख रहा था. तब अध्यक्ष पद के लिए डूडी का नामांकन खारिज हो गया था. वैभव के आरसीए पर काबिज होने के साथ ही कांग्रेस में गुटबाजी भी चरम पर पहुंच गई थी. जिसके बाद डूडी ने अपनी ही सरकार को जमकर घेरा था. उन्होंने गहलोत को धृतराष्ट्र बताते हुए पुत्र मोह में खेल रचने का आरोप भी लगाया दिया था.
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