राजे ने भी किया भैरोसिंह शेखावत के किस्से का जिक्र, जानें क्या है पूरा मामला

Rajasthan Siyasi Kisse: जब सीकर में पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत की पुण्यतिथि मनाई गई. वहीं, कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने तो उल्टे बीजेपी पर ही जमकर हमला बोला. खाचरियावास ने आरोप लगाया कि शेखावत के अंतिम दिनों में जिस बीजेपी ने उनका अपमान किया था वो आज किस मुंह से उनका जन्म शताब्दी […]

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Rajasthan Siyasi Kisse: जब सीकर में पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत की पुण्यतिथि मनाई गई. वहीं, कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने तो उल्टे बीजेपी पर ही जमकर हमला बोला. खाचरियावास ने आरोप लगाया कि शेखावत के अंतिम दिनों में जिस बीजेपी ने उनका अपमान किया था वो आज किस मुंह से उनका जन्म शताब्दी मना रही है. खाचरियावास ने कहा कि 13 साल के बाद अब बीजेपी को उनकी याद आई है. हकीकत तो यह है कि अंतिम दिनों में बीजेपी के नेताओं ने उनसे मुंह मोड़ लिया था.

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सभी दलों के राजनेताओं से भैरोसिंह के मधुर सम्बंध थे. हरिदेव जोशी जब एसएमएस में भर्ती हुए, तब शेखावत सीएम थे और उनसे नियमित तौर पर अस्पताल जाकर कुशलक्षेम पूछते थे. अपने भाषण के दौरान राजे ने एक किस्से का जिक्र कर गहलोत पर निशाना साधा. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि जब शेखावत विदेश में सर्जरी करवाने गए तो कांग्रेसियों ने सरकार गिराने की साजिश रची. इशारा गहलोत की तरफ था, जो उस समय पीसीसी चीफ थे.

आखिर इस किस्से के जरिए मानेसर एपिसोड का जबाव क्यों दिया जा रहा है? आखिर साल 1996 में क्या हुआ था और मानेसर एपिसोड से उसका क्या नाता है? जिसकी ओर गहलोत भी इशारा कर चुके हैं? आज हम बता रहे हैं कि वहीं किस्सा जिसके जरिए एक बार फिर चुनाव साल में सियासत तेज हो गई है.   

दरअसल बात 1996 की है. राजस्थान में भैरोसिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे. वे बीमार हो गए और उन्हें अपना इलाज कराने के लिए अमेरिका जाना पड़ा. फिर जो हुआ वो प्रदेश की राजनीति के पन्नों में दर्ज हो गया. हालांकि इस पूरी कहानी समझने के जिए हमें वर्ष 1990 की राजनीति पर नजर डालनी होगी.

1990 में भाजपा और जनता दल की सरकार बनीं
बात 1990 में हुए विधानसभा चुनाव की है. तब भाजपा के खाते में 85 सीटें और जनता दल के हिस्से में 54 सीटें आई थीं. ऐसे में प्रदेश में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी और सीएम बने भैरोसिंह शेखावत. साल 1990 में ही लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के लिए रथ यात्रा शुरू की तो जनता दल के साथ गठबंधन संकट में आ गया. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कुछ मंत्रियों और विधायकों ने इस नाराजगी में इस्तीफे दे दिए. इसी बीच भंवरलाल शर्मा ने 22 विधायकों के साथ जनता दल से अलग होकर जनता दल दिग्विजय का गठन किया और भाजपा को समर्थन देकर भैरोंसिंह की सरकार बचा दी. हालांकि ये सरकार ढाई साल में ही गिर गई. वर्ष 1993 में फिर चुनाव हुए और बीजेपी को सबसे ज्यादा 95 सीटें मिली, लेकिन बहुमत से 6 विधायक कम रह गए. इधर, कांग्रेस के खाते में 76 सीटें और जनता दल को 6 सीटें मिली. हालांकि फिर बीजेपी ने फिर भंवरलाल एंड गुट के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई और भैरोसिंह सीएम बने.

भंवरलाल नाउम्मीद हुए और नाराज हो गए
इधर भंवरलाल शर्मा 1990 और 92 में भैरोंसिंह के संकटमोचक बने और उम्मीदों के साथ सरकार में शामिल हुए. उन्हें लगा कि कम से कैबिनेट में तो उन्हें जगह मिलेगी ही पर भैरोसिंह ने उन्हें नाउम्मीद कर दिया. कहा जाता है कि भंवर तब चुप रह गए. वर्ष 1996 में जब सीएम शेखावत अमेरिका इलाज कराने गए तब भंवर ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और सरकार गिराने के लिए षड्यंत्र करने लगे. इसी सिलसिले में वे तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक गहलोत से मिले और सरकार गिराने की साजिश में शामिल होने की अपील की. माना जाता है कि तब गहलोत ने उनकी बात नहीं मानी.

राजस्थान में पहली बार हुई थी बाड़ेबंदी
शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी को सूचना मिली कि भंवरलाल ने एक विधायक को सरकार गिराने के लिए प्रस्ताव दिया है. जिसके बाद शेखावत ने अपना इलाज रुकवा दिया और लौटने की तैयारी करने लगे. शेखावत को डॉक्टरों ने मना किया कि वे बिना ऑपरेशन करवाए नहीं लौटें. परिस्थितियों को देखते हुए शेखावत नहीं माने और विधायकों को इकट्ठा किया. इस दौरान एक रिसॉर्ट में 15 दिन बिताए. बाड़ेबंदी के इतिहास में यह पहला किस्सा कहा जाता है. जैसे ही शेखावत की सरकार बची तो सबसे पहले भंवरलाल शर्मा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

मंत्रीमंडल में जगह नही मिली तो पायलट गुट के साथ उतरे विरोध में
जहां शेखावत के मंत्रिमंडल में जगह मिलने से नाराज भंवरलाल के चलते सियासी संकट पैदा हुआ. वहीं, 2018 में गहलोत के मंत्रीमंडल में भी उन्हें शामिल नहीं किया गया. जिससे नाराज होकर वे गहलोत विरोध के चलते पायलट के खेमे में शामिल हो गए. जुलाई 2020 में अशोक गहलोत की कुर्सी को संकट में डालने के सूत्रधार के तौर पर भी भंवरलाल शर्मा पर ही आरोप लगे. विधायकों की खरीद-फरौख्त के मामले में भंवरलाल शर्मा के तीन कथित ऑडियो भी वायरल हुए थे, जिसके आधार पर एसीबी में मुकदमा भी दर्ज किया गया.

गहलोत ने इस बात का जिक्र कर वसुंधरा की तारीफ कर दी
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रविवार को राजस्थान के धौलपुर पहुंचे थे. यहां उन्होंने अपने भाषण के दौरान 2020 में हुई मानेसर की घटना का जिक्र करते हुए बड़ा खुलासा कर दिया. उन्होंने कहा कि जब अमित शाह विधायकों को खरीद रहे थे उस दौरान 3 बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस सरकार को बचाने में भूमिका निभाई थी जिसमें पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी शामिल थी.सीएम अशोक गहलोत ने बीजेपी से बर्खास्त MLA शोभारानी कुशवाह को लेकर कहा कि जब उसने हमारा साथ दिया तो भाजपा वालो की हवाइयां उड़ गई. दूसरी वसुंधरा राजे सिंधिया और तीसरे कैलाश मेघवाल हैं. कैलाश मेघवाल और वसुंधरा राजे सिंधिया ने कहा कि पैसे के बल पर सरकार को गिराने की हमारे यहां कभी परंपरा नहीं रही है. सीएम ने कहा- इन लोगों ने क्या गलत कहा और शोभारानी ने वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल की बात सुनी. यह घटना मैं जिंदगी में कभी भूल नहीं सकता.

सरकार गिराने के लिए हुआ ऑपरेशन, कांग्रेस हुई थी नाकाम 
इस दौरान वसुंधरा राजे ने कहा कि बाबोसा को ऑपरेशन कराए बिना लौटना पड़ा था. गहलोत ने भी जिक्र करके बताया था कि तब साजिश हुई थी, लेकिन हमने नाकाम कर दी. जबकि राजे ने इशारों-इशारों में गहलोत पर निशाना साधा. क्योंकि उस वक्त पीसीसी चीफ गहलोत थे. राजे ने कहा कि उस वक्त शेखावत बहुत आहत हुए, जब एक तरफ तो उनकी 1996 में क्लीवलैंड में हार्ट की सर्जरी हो रही थी और दूसरी ओर जयपुर में उनकी सरकार गिराने के लिए ‘ऑपरेशन’ चल रहा था. हालांकि कांग्रेस इसमें सफल नही हुई. राजे के भाषण के दौरान निशाना गहलोत पर था, क्योंकि तब वो पीसीसी चीफ थे.

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