Rajasthan Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election 2023) से पहले उठापटक का दौर जारी है. जाट नेता ज्योति मिर्धा (Jyoti Mirdha) ने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर चर्चाएं हैं. हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) खुद को जाट नेता कहते हैं. तो भाजपा को ज्योति मिर्धा से खासी उम्मीद है. नागौर, राजसमंद, कुचामन, डीडवाना, झुंझुनू व चूरू सहित आसपास जाट प्रभावित क्षेत्र की 10 विधानसभा सीटों पर भाजपा को जीत की उम्मीद है. ऐसे में देखना होगा क्या ज्योति मिर्धा भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होती है.
ADVERTISEMENT
ज्योति मिर्धा साल 2009 से 2014 तक कांग्रेस से सांसद रही. लेकिन 2014 और 2019 में उनको हार का सामना करना पड़ा. ज्योति मिर्धा के दादा नाथूराम मृदा छह बार सांसद और चार बार विधायक रहे. इसके अलावा नाथूराम केंद्र और राज्य सरकार में मंत्री भी रहे. उनकी अपने क्षेत्र में पकड़ थी. ज्योति मिर्धा के भाजपा में आने से भाजपा को प्रदेश की 10 जाट बाहुल्य सीटों पर जीत की उम्मीद है.
महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी ज्योति मिर्धा की सास
ज्योति मिर्धा की सास कृष्णा गहलोत बीजेपी की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी हैं. दादा नाथूराम मिर्धा मारवाड़ में जाट समुदाय के सबसे ताकतवर और लोकप्रिय नेता रहे नाथूराम मिर्धा के निधन के बाद भाजपा नेता भैरोसिंह शेखावत ने उनके बेटे भानु प्रकाश मिर्धा को टिकट दिया था. वो नागौर से सांसद बने थे. ज्योति मिर्जा का ताल्लुक हरियाणा कांग्रेस के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार से भी है. ज्योति मिर्धा की बहन श्वेता मिर्जा भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा की पत्नी है.
10 सीटों पर पड़ेगा असर
हनुमान बेनीवाल की मानें तो ज्योति मिर्धा से भाजपा को कोई फायदा नहीं होगा. उनका जाट वोट बैंक पर कोई प्रभाव नहीं है. तो भाजपा को नागौर, राजसमंद, कुचामन, डीडवाना, झुंझुनू व चूरू सहित आसपास जाट प्रभावित क्षेत्र की 10 विधानसभा सीटों पर फायदा होने की उम्मीद है. भाजपा में शामिल होने के बाद ज्योति मिर्धा लगातार सक्रिय है. नागौर व आसपास क्षेत्र में जनसभाएं कर रही हैं.
बीजेपी में शामिल होने के बाद एक्टिव मोड में आई ज्योति मिर्धा
ज्योति मिर्धा ने बीते दिनों मीडिया से बातचीत करते हुए हनुमान बेनीवाल पर गंभीर आरोप लगाए थे. ज्योति मिर्धा पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है. कहते हैं राजस्थान में जाट और किसान जिस पार्टी के साथ है. वो सत्ता में काबिज होती है. ऐसे में बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों जाटों और किसानों को लुभाने में लगी है. उनके नेताओं को बड़े पद दिए गए हैं. ज्योति मिर्धा को 2024 लोकसभा चुनाव में लोकसभा का उम्मीदवार भी माना जा रहा है. लेकिन विधानसभा चुनाव में ज्योति मिर्धा की परफॉर्मेंस पर उनके आगे की राजनीति निर्भर करेगी.
ज्योति मिर्धा की बीजेपी में एंट्री के बाद कांग्रेस और आरएलपी के गठबंधन पर क्यों लगा ब्रेक ?
ADVERTISEMENT