Rajasthan Election: राजस्थान चुनाव में कांग्रेस (Rajasthan Congress) हो या भाजपा (Rajasthan BJP) दोनों ही पार्टियों में बगावत के सुर नजर आ रहे हैं. लेकिन बगावत के बीच वरिष्ठ नेता निर्दलीय उतरने या तीसरे मोर्चे के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में दोनों ही पार्टियों की परेशानी बढ़ गई है. ऐसे में प्रदेश की कई सीट ऐसी हैं. जिन पर मुकाबला रोचक रहने वाला है. कुछ पर त्रिकोणीय मुकाबला बन गया है.
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राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. बीजेपी ने अपनी 2 लिस्ट जारी कर दी. वहीं कांग्रेस ने अपनी 3 सूची जारी कर दी है. प्रदेश की कई सीट ऐसी हैं. जहां रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा. बागियों के चलते त्रिकोणीय मुकाबला बन गया है. कहीं पति-पत्नी आमने-सामने हैं. तो कहीं एक पार्टी का कद्दावर नेता बगावत के बाद दूसरी पार्टी से उस सीट पर चुनाव लड़ता दिख रहा है.
इन सीटों पर मुकाबला होगा रोचक
कांग्रेस की रीटा सिंह कांग्रेस नेता नारायण सिंह की पुत्रवधू हैं. दातारामगढ़ सीट से विधायक वीरेंद्र सिंह की पत्नी है. पति के सामने जेजेपी से चुनाव मैदान में चुनाव लड़ रही है. पृथ्वीराज मील भाजपा से श्रीगंगानगर जिले के जिला प्रमुख रहे. इस बार जाजपा से सूरतगढ़ सीट पर प्रत्याशी हैं. पृथ्वीराज मील के चुनाव मैदान में उतरने के बाद इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. अलवर की बानसूर विधानसभा सीट पर इस समय पूरे प्रदेश की निगाहे हैं. भैरोंसिंह शेखावत सरकार में परिवहन मंत्री रहे डॉक्टर रोहिताश शर्मा वसुंधरा गुट के माने जाते हैं. पिछली बार थानागाजी सीट पर चुनाव हार गए थे. इस बार बानसूर से टिकट मांग रहे थे. लेकिन टिकट कटने से नाराज रोहिताश ने भाजपा से बगावत की और अब तीसरे मोर्चे से चुनाव लड़ रहे हैं.
प्रमुख सीटों पर त्रिकोणीय हुआ मुकाबला
जमवारामगढ़ से 1998 में 2003 में कांग्रेस से विधायक रहे राजेश पायलट की खास रहे. रामचंद्र पिछली बार भी टिकट नहीं मिला था. अब आसपास से विराटनगर से चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस से विधायक रहे रेवतराम पवार आरएलपी के टिकट पर कोलायत सीट से चुनाव लड़ेंगे. तो 2018 में बीटीपी से विधायक रहे. राजकुमार बीएसपी से चुनाव लड़ेंगे. राजस्थान की इन प्रमुख सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. इसके चलते नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है. ऐसे में देखना होगा की पार्टी की तरफ से क्या कदम उठाए जाते हैं. क्योंकि बगावत करने वाले नेताओं को रोकने के लिए पार्टी प्रयास कर रही है और डैमेज कंट्रोल के हर संभव प्रयास किया जा रहे हैं. वरिष्ठ नेताओं की बगावत करने से पार्टी को खासा नुकसान होता भी नजर आ रहा है.
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