Rajasthan Election 2023: वंशवाद में खुद डूबी भाजपा, कई सीटों पर विरोध, इन नेताओं को विरासत से मिली टिकट!

Himanshu Sharma

• 10:43 AM • 25 Oct 2023

Rajasthan Election 2023: भाजपा के नेता टिकट वितरण से पहले बड़े-बड़े दावे कर रहे थे. पार्टी ने कई नियम बनाए गए. लेकिन जीत के लालच में पार्टी खुद के नियमों को तोड़ रही है. जिन नेताओं ने पार्टी को नाकारा व पार्टी से मुंह मोड़कर निर्दलीय या दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ा. उन प्रत्याशियों को […]

Rajasthan Election 2023: वंशवाद में खुद डूबी भाजपा, कई सीटों पर विरोध, इन नेताओं को विरासत से मिली टिकट!

Rajasthan Election 2023: वंशवाद में खुद डूबी भाजपा, कई सीटों पर विरोध, इन नेताओं को विरासत से मिली टिकट!

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Rajasthan Election 2023: भाजपा के नेता टिकट वितरण से पहले बड़े-बड़े दावे कर रहे थे. पार्टी ने कई नियम बनाए गए. लेकिन जीत के लालच में पार्टी खुद के नियमों को तोड़ रही है. जिन नेताओं ने पार्टी को नाकारा व पार्टी से मुंह मोड़कर निर्दलीय या दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ा. उन प्रत्याशियों को भाजपा ने टिकट दिया. साथ ही वंशवाद का विरोध करने वाली भाजपा खुद वंशवाद को बढ़ावा दे रही है.

भाजपा ने टिकट वितरण को लेकर नियम बनाए. पार्टी के नेता बड़े बदलाव का ढिंढ़ोरा पीठ रहे थे. वंशवाद को बढ़ावा नहीं देने और पार्टी लाइन पर नहीं चलने वालों को आईना दिखाने का दावा किया जा रहा था. लेकिन अभी तक जारी हुई भाजपा की सूचियां में पार्टी के नियमों की धज्जियां उड़ती नजर आई है. जनता की उम्मीद धराशाही हो गई. लगातार पार्टी में सक्रिय रहने वाले नेताओं को छोड़कर पैराशूट नेताओं को पार्टी ने टिकट दिया. जिसके चलते पार्टी में लगातार विरोध का सिलसिला जारी है. तो पार्टी को अंत कलह के चलते नुकसान होने की भी संभावना नजर आने लगी है.

वंशवाद के जाल में फंसी भाजपा

पार्टी से विरोध करके निर्दलीय या किसी दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ने वाले नेताओं को टिकट दिए गए. बानसूर से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले देवी सिंह शेखावत को भाजपा ने इस बार बानसूर से प्रत्याशी बनाया है. नवलगढ़ से पिछला चुनाव निर्दलीय लड़ने वाले विक्रम सिंह जाखल को इस बार प्रत्याशी बनाया गया है. हंसराज पटेल ने पिछला चुनाव कोटपूतली से निर्दलीय था. लेकिन पार्टी ने उनको इस बार टिकट दिया है. माण्डल से निर्दलीय ताल ठोकने वाले उदयलाल भड़ाना को फिर से प्रत्याशी बनाया गया है. थानागाजी से पार्टी का विरोध कर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले हेमसिंह भड़ाना को पार्टी ने थानागाजी से अपना प्रत्याशी घोषित किया है. रिटायर्ड आईएएस चंद्र मोहन मीणा को बस्ती से टिकट दिया गया है. तो फतेहपुर से श्रवण चौधरी को टिकट दिया गया है. पार्टी में हमेशा सक्रिय रहने वाले नेता टिकट के लिए धक्के खा रहे हैं.

इन जगहों पर भाजपा ने दिया टिकट

इसी तरह से वंशवाद का विरोध करने वाली भाजपा ने दोनों सूचियां में वंशवाद को बढ़ावा दिया है. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैसला को देवी उनियारा सीट से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. पूर्व विधायक धर्मपाल चौधरी के बेटे मनजीत चौधरी को मुंडावर से टिकट दिया गया है. डीग कुम्हेर सीट से फिर शैलेश सिंह को उतारा गया है. इनके पिता दिगंबर सिंह भाजपा सरकार में मंत्री थे. नसीराबाद से रामस्वरूप लांबा को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है. इनके पिता प्रोफेसर साबरमल जाट केंद्र और राज्य दोनों सरकारों में मंत्री रहे हैं.

कई जगहों पर हो रहा विरोध

धारियावद से प्रत्याशी कन्हैया लाल मीणा को टिकट दिया गया है. उनके पिता गौतम लाल मीणा पूर्व विधायक रह चुके हैं. प्रतापगढ़ सीट से प्रत्याशी हेमंत मीना को चुनाव मैदान में उतारा है. पिछला चुनाव हेमंत मीना हार गए थे. उनके पिता नंदलाल मीणा पूर्व सांसद रहे हैं और तत्कालीन राज्य सरकार में मंत्री रहे. इसी तरह से राजसमंद से किरण माहेश्वरी की जगह उनकी बेटी दिप्ती माहेश्वरी को उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया था. ऐसे में साफ है कि वंशवाद पर हमेशा कांग्रेस पर हमला बोलने वाली भाजपा खुद वंशवाद को बढ़ावा दे रही है. पार्टी के सभी दावे अभी तक झूठ साबित हुए हैं. इसलिए पार्टी को विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है.

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