Rajasthan News: राजस्थान से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा निकलने के बाद हरियाणा पार करते हुए दिल्ली फिर यूपी और फिर से हरियाणा होते हुए अब पंजाब पहुंच चुकी है. राजस्थान में तो यात्रा में सीएम गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम पायलट के साथ प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा समेत कई कद्दावर नेता नजर आए. वहीं अब राजस्थान की सीमाओं से निकलने के बाद अभी भी पायलट राहुल गांधी के साथ देखे जा रहे हैं. ध्यान देने वाली बात है कि राजस्थान में यात्रा की एंट्री से पहले भी पायलट राहुल के साथ कदम-ताल मिलाते देखे गए. एक तस्वीर मध्य प्रदेश से भी आई जिसमें पायलट राहुल और प्रियंका के साथ थे. ये तस्वीर राजनैतिक गलियारों में काफी चर्चा में रही.
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देखा जाय तो राहुल के साथ यात्रा में चलने की पायलट सिर्फ औपचारिकता नहीं पूरी कर रहे बल्कि ये भी देखा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के लिए वे इतने संजीदा हैं कि हर वक्त आलाकमान के आदेश का पालन करने को लेकर कमर कसे रहते हैं.
ये बात भी सामने आ रही है कि पंजाब में राहुल के साथ पायलट को देख राजस्थान की राजनीति में फिर खलबली मची है. वो इसलिए क्योंकि जब तक राहुल गांधी राजस्थान में थे, तब तक अशोक गहलोत ने राहुल को अकेल नहीं छोड़ा था. या तो खुद गहलोत राहुल के साथ होते थे, या फिर डोटासरा या फिर गहलोत गुट का कोई और नेता.
पायलट और राहुल के साथ केवल हरीश चौधरी की मौजूदगी
ये कयास लगाए जा रहे हैं कि पंजाब में राहुल और पायलट के बीच तीसरा ऐसा कोई नहीं है जिसकी मौजूदगी राजस्थान की वर्तमान राजनीति पर बात करने में हिचक पैदा करेगी. हालांकि पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी भी राहुल गांधी के साथ इस यात्रा में शामिल हैं. राहुल गांधी जब राजस्थान में यात्रा पर थे, तब हरीश चौधरी उनके साथ सबसे ज्यादा पैदल चले थे. हरीश चौधरी राहुल की यात्रा में पायलट के साथ ही नजर आते थे. यहां तक कि राहुल की सभा में भी हरीश की कुर्सी पायलट के बगल ही लगती थी. हरीश चौधरी पहले राजस्थान सरकार में मंत्री थे, फिर पंजाब कांग्रेस के प्रभारी बन गए.
कई मुद्दों पर गहलोत सरकार का खिलाफत करते रहे हैं हरीश
हरीश चौधरी ओबीसी आरक्षण से लेकर कई और मुद्दों पर गहलोत सरकार की खुलकर खिलाफत करते रहे हैं. इस चक्कर में ना जाने वो पायलट के कब करीब आ गए पता ही नहीं चला. यानि राजस्थान के दो दिग्गज पंजाब में राहुल गांधी के साथ हैं. ऐसा माना जाता है कि दोनों ही नेताओं को अशोक गहलोत गुट में पसंद नहीं किया जाता है. ऐसे में इन दोनों नेताओं को राहुल गांधी के साथ देख गहलोत गुट का टेंशन में आना लाजिमी है.
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