गहलोत पर लोकेश शर्मा ने लगाए आरोप, अब पायलट ने भी दे दिया ये बयान

Rajasthan election result: राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम (Rajasthan election result) के बाद अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने उन पर आरोप लगाए. जिसमें उन्होंने गहलोत को कांग्रेस पार्टी की हार का जिम्मेदार ठहरा दिया. अब इस मामले में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का बयान आया है. उन्होंने कहा कि यह बयान […]

सचिन पायलट के छत्तीसगढ़ जाने से बीजेपी क्यों खुश? मंत्री रामविचार के बयान से चर्चाएं हुईं तेज

सचिन पायलट के छत्तीसगढ़ जाने से बीजेपी क्यों खुश? मंत्री रामविचार के बयान से चर्चाएं हुईं तेज

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Rajasthan election result: राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम (Rajasthan election result) के बाद अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने उन पर आरोप लगाए. जिसमें उन्होंने गहलोत को कांग्रेस पार्टी की हार का जिम्मेदार ठहरा दिया. अब इस मामले में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का बयान आया है. उन्होंने कहा कि यह बयान बेहद चिंताजनक हैं. पार्टी को इस पर विश्लेषण करना चाहिए कि कितना सही हैं, कितना गलत? मुझे उम्मीद हैं कि पार्टी इस पर ध्यान देगी.

चुनाव परिणाम पर बोलते हुए पायलट ने कहा कि हर बार हम सरकार रिपीट नहीं कर पाते हैं, इस पर चिंतन और मंथन जरुरी है. साथ ही कहा कि विपक्ष में रहकर जनता की सेवा करेंगे. पूरी ताकत लगाकर भी सरकार दोबारा नहीं बना पाए. पायलट ने कहा कि लोकसभा चुनाव बड़ी चुनौती हैं.

ऐसा क्या कहा था लोकेश शर्मा ने?

लोकेश शर्मा का कहना था कि मैं नतीजों से आहत जरूर हूं, लेकिन अचंभित नहीं हूँ. कांग्रेस निःसंदेह रिवाज़ बदल सकती थी, लेकिन अशोक गहलोत कभी कोई बदलाव नहीं चाहते थे. यह कांग्रेस की नहीं, बल्कि अशोक गहलोत की शिकस्त है. गहलोत के चेहरे पर, उनको फ्री हैंड देकर, उनके नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा और उनके मुताबिक प्रत्येक सीट पर वे स्वयं चुनाव लड़ रहे थे. न उनका अनुभव चला, न जादू और हर बार की तरह कांग्रेस को उनकी योजनाओं के सहारे जीत नहीं मिली और न ही अथाह पिंक प्रचार काम आया.

उन्होंने आरोप लगाया “तीसरी बार लगातार सीएम रहते हुए गहलोत ने पार्टी को फिर हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया. आज तक पार्टी से सिर्फ़ लिया ही लिया है, लेकिन कभी अपने रहते पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं करवा पाए गहलोत. आलाकमान के साथ फ़रेब, ऊपर सही फीडबैक न पहुंचने देना, किसी को विकल्प तक न बनने देना, अपरिपक्व और अपने फायदे के लिए जुड़े लोगों से घिरे रहकर आत्ममुग्धता में लगातार गलत निर्णय और आपाधापी में फैसले लिए जाते रहना, तमाम फीडबैक और सर्वे को दरकिनार कर अपनी मनमर्जी और अपने पसंदीदा प्रत्याशियों को उनकी स्पष्ट हार को देखते हुए भी टिकट दिलवाने की जिद.”

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