विधानसभा में बजट सत्र का आज 4 जून को दूसरा दिन था. सदन में गहमागहमी के बीच विधानसभा से बाहर ज्यादा चर्चा थी. यह चर्चा कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को लेकर थी. जो अब इस्तीफा दे चुके हैं. लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सीट नहीं जीत पाने को लेकर उन्होंने इस्तीफे का संकल्प लिया था और जिसे पूरा भी कर दिया है. इस्तीफे के साथ ही उन्होंने अपनी एक पुरानी बात को भी दोहराया कि "प्राण जाए लेकिन वचन नहीं जाए." उनके इस्तीफे के बाद जयपुर से दिल्ली तक बीजेपी की राजनीति में भूचाल आ गया है. इस मामले में कांग्रेस ने भी चुटकी लेती हुई दिख रही है.
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा में कहा कि 'किरोड़ी बाबा की पर्ची का क्या हुआ. क्या पर्ची मंजूर हुई या नहीं. ये सदन ही नहीं पूरा प्रदेश जानना चाहता है.' इसके जवाब में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि 'सही समय पर इसकी सूचना आ जाएगी.'
आखिर इस्तीफे के पीछे क्या है वजह?
अब सवाल यही है कि पिछली गहलोत सरकार में विपक्ष की भूमिका निभाने वाले डॉ. किरोड़ीलाल मीणा का इस्तीफा क्यों हुआ? क्या वजह उनका संकल्प ही है या बात कुछ और है. सरकार बनने के बाद बीजेपी के इस वरिष्ठ नेता को लेकर कहा जा रहा था कि विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री या किसी बड़े विभाग की जिम्मेदारी दी जा सकती है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वहीं, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और किरोड़ीलाल मीणा के बीच की खींचतान को भी उनके इस्तीफे से जोड़कर देखा जा रहा है.
इन मंत्रियों को मिला अतिरिक्त प्रभार
इधर, कैबिनेट मंत्री कैबिनेट मंत्री डॉ किरोडी लाल मीणा के इस्तीफा के बीच स्थिति के बीच सुबह की भजन लाल सरकार ने राज्य मंत्री ओटाराम देवासी और के. के. बिश्नोई को किरोड़ी बाबा के विभागों का अतिरिक्त प्रभार दिया है. ऐसे में किरोड़ी बाबा की अनुपस्थिति में राज्यमंत्री ओटाराम देवासी और के. के. विश्नोई इन विभागों की जिम्मेदारी संभालते नजर आएंगे.
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