Rajasthan Budget 2023: राजस्थान की सियासत का यह अहम साल है. चुनाव में उतरने से पहले कांग्रेस के पास मौका है बजट के जरिए अपनी नीतियां पेश करने का. वहीं, इस मौके को गहलोत भी जमकर भुनाना चाहेंगे. कांग्रेस के फेस वॉर में गहलोत आलाकमान को ये संदेश चाहेंगे कि उन्हीं के चेहरे पर राजस्थान के सियासी रण में फतह हासिल की जा सकती है. ऐसे में उम्मीद है कि गहलोत के पिटारे में इस बात कई जादूई रंग होंगे. वो रंग जो उनकी छवि को चमकाने में शायद मददगार साबित हो. क्योंकि कांग्रेस बिना चेहरे के चुनाव लड़ने के मूड में है. दूसरी ओर पायलट भी अपना आखिरी दांव खेल रहे हैं.
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इन सबके बीच सीएम गहलोत के पास सिर्फ बजट ही एकमात्र रास्ता है जिसके बूते खुद की एक मजबूत तस्वीर पेश कर सकते हैं. ताकि उनकी सियासी तकदीर बदल पाए. इस बार के बजट को भले ही युवाओं के लिए समर्पित बजट बताया जाए. लेकिन सीएसडीएस के स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रो. संजय लोढ़ा मानते हैं कि इस बार घोषणाओं के जरिए हर वर्ग को साधने की कोशिश रहेगी. जिसमें शिक्षा, चिकित्सा से लेकर किसानों के मुद्दो पर फोकस होगा.
चुनावी साल में ये हो सकती है बड़ी घोषणा
1.नए जिले और संभाग की सौगात: चुनावी साल मे नए जिले और संभाग के गठन की चर्चा तेज हो गई है. प्रदेश में 7 जिले और 3 नए संभाग गठित होने के कयास लगाए जा रहे है. नए जिलों के लिए गठित सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. रामलुभाया की अध्यक्षता में कमेटी ने रिपोर्ट पहले ही सौंप दी है. ऐसे में इस घोषणा पर प्रदेशवासियों की निगाहें है.
2. रोजगार गारंटी योजना के जरिए शहरी वोटर पर निशाना: कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना हैं कि राजस्थान में गांवों के बाद शहरों में भी मनरेगा योजना गेमचेंजर साबित हो सकता है. जिसकी घोषणा सीएम ने आखिरी बजट के दौरान की थी. ऐसे में मुमकिन है कि शहरी वोटर्स को साधने के लिए इस बार के बजट में दायरे बढ़ाने को लेकर विचार किया जाए.
3. नए विश्वविद्यालयों की सौगात: राज्य में युवा वोटर को साधने के लिए विश्वविद्यालय की सौगात भी अहम हो सकती है. क्योंकि राज्य में पिछले कई समय से नए विश्विद्यालयों की मांग तेज हो गई है.
4. ईआरसीपी के जरिए पूर्वी राजस्थान पर फोकस: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर गहलोत केंद्र सरकार पर आक्रामक रहते हैं. राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग के जरिए गहलोत लगातार केंद्र को घेर रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार की ओर से इस परियोजना के लिए फंड दिया जा सकता है. बीजेपी पर पलटवार के साथ ही यह मुद्दा कई अन्य मायनों में अहम है. क्योंकिपूर्वी राजस्थान जहां कांग्रेस का गढ़ है. वहीं, इस क्षेत्र में पायलट की लोकप्रियता ने गहलोत की भी चिंता बढ़ा दी है. जिसका असर भारत जोड़ो यात्रा में भी देखने को मिला. जब यात्रा के दौरान पायलट के समर्थन में नारेबाजी हुई. ऐसे में 13 जिलों की लाइफ लाइन कहे जाने वाली ईआरसीपी योजना भी खास है.
5. चिरंजीवी योजना: गहलोत जिन योजनाओं के बूते सरकार की वापसी के सपने देख रहे हैं, उनमें सबसे अहम है चिरंजीवी योजना. क्योंकि चिरंजीवी योजना के सहारे ना सिर्फ गहलोत ने जनकल्याणकारी छवि बनाई. बल्कि राहुल गांधी से भी वाहवाही लूट ली. राहुल गांधी समेत तमाम कांग्रेसी नेता राजस्थान सरकार को मॉडल स्टेट कह चुके हैं. ऐसे में पैकेज और कुछ लाभ के लिहाज से इस योजना का विस्तार किया जा सकता है.
6. कृषि, शिक्षा और अल्पसंख्यक के लिए भी सौगात: इसके अलावा सियासी लिहाज से अल्पसंख्यकों के लिए भी कुछ पैकेज हो सकते हैं. साथ ही किसानों के लिए पैकेज में फसल बीमा बढ़ाना, निश्चित रूप से अनाज और दालों के लिए एमएसपी में वृद्धि, उपज को मंडी तक ले जाने के लिए परिवहन सुविधाएं जैसे भी मुद्दे अहम है.
7. महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल: चिरंजीवी के अलावा राजस्थान में इंग्लिश मीडियम स्कूल ने भी सुर्खियां बटोरी. इस बार विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत सरकार 2 हजार महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की तैयारी में है. इस लिहाज से बजट में काफी कुछ इस दिशा में भी खास सौगात मिल सकती है.
8.बालिका शिक्षा: एक्सपर्ट्स की मानें तो राज्य सरकार बालिका शिक्षा पर फोकस होगा. 18 वर्ष से अधिक आयु की लड़कियों के लिए शिक्षा के लिए विशेष प्रोत्साहन की योजना महिला वोट के लिहाज से खास हो सकती है.
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