राजस्थान में फेसवॉर बरकरार? बैठक के बाद की ये तस्वीर बहुत कुछ कहती है!

Sachin Pilot Reaction: दिल्ली में सोमवार को देर रात तक चली बैठक को लेकर सबकी निगाहें टिकी रहीं. उम्मीद रही कि सरकार का कार्यकाल पूरा होते-होते पायलट का ना सिर्फ पद और साख वापस आएंगे, बल्कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी मिलेगी. लेकिन शायद ही गहलोत हाईकमान की बात से इत्तेफाक रखेंगे. इन चर्चाओं से अलग […]

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Sachin Pilot Reaction: दिल्ली में सोमवार को देर रात तक चली बैठक को लेकर सबकी निगाहें टिकी रहीं. उम्मीद रही कि सरकार का कार्यकाल पूरा होते-होते पायलट का ना सिर्फ पद और साख वापस आएंगे, बल्कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी भी मिलेगी. लेकिन शायद ही गहलोत हाईकमान की बात से इत्तेफाक रखेंगे. इन चर्चाओं से अलग जो भी तस्वीरें सामने आई.

इन चर्चाओं से अलग जो भी तस्वीरें सामने आई. उसमें सचिन पायलट के चेहरे पर खामोशी थी. हालांकि अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुखर हुए और फिर से वही बात करने लगे. जबकि पायलट ने इस पूरे मसले में रिएक्शन देने से बच रहे हैं.

सवाल यह है कि हाईकमान की ओर से बड़ा दबाव बनाया गया है और पायलट को फ्यूचर लॉलीपॉप दिखाया गया है. लेकिन अगर पायलट के भविष्य में कोई बड़ी जिम्मेदारी देने की बात कही गई है तो गहलोत का मुखर हो जाना सवालिया निशान है.

गहलोत हो गए मुखर
जानकार मान रहे हैं कि पायलट को केंद्र में भूमिका दिखाई दे रही है. क्योंकि राज्य में अभी भी उनके आसार कम है. कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि गहलोत अब इस पूरे मामले में खुलकर सामने आ चुके हैं और शायद सोच बना चुके हैं कि अपने चेहरे पर चुनाव लड़ेंगे और सीएम भी वहीं रहेंगे. जिसका इशारा वह अपने बयान के बाद कर चुके हैं.

अपने दम पर रिपीट करूंगा सरकार- गहलोत
गौरतलब है कि गहलोत ने बयान दिया कि मेरे लिए पद अब मायने नहीं रखता है. मैं 3 बार सीएम बन चुका हूं और 3 बार केंद्र में मंत्री. जो आलाकमान चाहता है, वो कर रहा हूं. बीतें 5 साल में भी राजस्थान में वही किया है. उन्होंने कहा कि जनता मुझे रिपीट करेगी. पायलट के साथ काम करने के सवाल पर जवाब दिया कि वो पार्टी में हैं तो साथ काम करेंगे. उनकी भूमिका आलाकमान तय करेगा.

पायलट ने साधी चुप्पी!
दूसरी ओर, बैठक के बाद पायलट पूरी तरह से खामोश है. अब बैठक में क्या फैसले हुए या फैसले हुए ही नहीं या यह कांग्रेस की नई रणनीति है? हकीकत क्या है, यह सबकुछ सवालों के घेरे में हैं. चुनावी साल में राजस्थान में एक तरफ बीजेपी का वसुंधरा बनाम अन्य और कांग्रेस में गहलोत-पायलट के बीच मतभेद का मुद्दा तूल पकड़ता नजर आ रहा है.

करीब 6 महीने बाद चुनाव है और ऐसे में फेस वर्सेज फेस की लड़ाई दिलचस्प है. पार्टियां तय करने में लगी है कि इस मसले को कैसे सुलझाया जाए. वहीं, थर्ड फ्रंट के तौर पर उभर आरएलपी और अन्य इन दोनों पार्टियों को घेरे में लेते हुए इलेक्शन कैंपेनिंग में जुट गए है. अब ये दिलचस्प मुकाबला राजस्थानी की राजनीति को किस मोड़ पर ले जाएगा.

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