लोकसभा चुनाव-2024 में राजस्थान की कई सीटों पर बीजेपी को झटका लगा. इसमें कई सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी को चुनौती देने वाले उनकी पार्टी के बागी थे. जिसमें एक नाम रविंद्र सिंह भाटी का था, जो साल 2023 के विधानसभा चुनाव में ही बगावत करके शिव विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके थे. जिसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव में बाड़मेर सीट से भी हाथ आजमाया. इस चुनाव में खुद तो हारे ही, लेकिन बीजेपी भी तीसरे नंबर पर रही. वहीं, शेखावाटी की हॉट सीट चूरू में भी कुछ ऐसा ही हुआ.
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बीजेपी से सांसद रह चुके राहुल कस्वां (Rahul Kaswan) का जब टिकट कटा तो उन्होंने बगावत की और कांग्रेस (Congress) के टिकट पर चुनाव लड़ा. इस मुकाबले में कस्वां ने जीत हासिल की और बीजेपी प्रत्याशी देवेंद्र झाझरिया को शिकस्त दी.
कांग्रेस से सांसद बनने के बाद अब उन्होंने वसुंधरा राजे को लेकर बड़ा बयान दिया है. बता दें कि उनके परिवार और पूर्व मुख्यमंत्री राजे के सियासी रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं. शेखावाटी में राजे की राजनीति की धुरी में कस्वां समेत कई नेताओं का नाम शुमार रहा है. अब पार्टी बदलने के बाद भी कस्वां का कहना है कि उनके लिए हमेशा आदर रहा है. लेकिन अब मैं उनके संपर्क में नहीं हूं. राजस्थान को जिसने भी लंबा नेतृत्व दिया है, मैं हर उस लीडर का आदर करता हूं. मैडम का नेतृत्व भी पूरे राजस्थान ने देखा है.
वसुंधरा राजे की जगह भजनलाल शर्मा को सीएम बनाना कितना सही?
यहीं नहीं, साल 2023 में बीजेपी को बहुमत मिलने के बाद वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने के फैसले पर भी अपनी राय रखी. उन्होंने पार्टी के इस फैसले से जुड़े सवाल पर कहा था कि मुझे इस बार में कुछ नहीं कहना, वो पार्टी का फैसला था. लेकिन जिस तरह से वो फैसला लिया गया, उससे जनता के बीच में अच्छा संदेश नहीं गया. लोकसभा चुनाव के दौरान भी लोगों के मन में यह बात थी.
कस्वां ने कहा कि वसुंधराजी हमारी लीडर रही हैं. उनके कार्यक्रम में जाना पार्टी लाइन से बाहर नहीं हो सकता था. मैं हमेशा उनका आदर करता था और आज भी करता हूं. जहां तक सवाल मेरी परफॉर्मेंस को लेकर है तो पार्टी ने स्टैडिंग कमेटी में बैठक में उपस्थिति का निर्देश दिया, मेरी उपस्थिति 100 फीसदी रही. पार्टी के निर्देशानुसार सोशल मीडिया पर भी मैं पूरी तरह सक्रिय रहा. मैंने कभी मीडिया में बयान दिया था. इस पूरे संसदीय क्षेत्र में मैं, मेरे पिता और मेरी माता लोगों के बीच काम करते थे. अगर मुझमे कोई कमी थी तो अध्यक्ष की जिम्मेदारी थी कि मुझे बुलाते और मुझसे सवाल करते.
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