राजस्थान में कांग्रेस की जीत को लग गया ग्रहण! बीजेपी को मात देने वाले ये 2 सांसद हो जाएंगे दूर?

राजस्थान तक

07 Jun 2024 (अपडेटेड: Jun 7 2024 5:43 PM)

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राजस्थान में सियासी हलचल तेज हो गई है. प्रदेश में कांग्रेस ने 10 साल बाद जबरदस्त वापसी करते हुए बीजेपी को शिकस्त दी. कांग्रेस गठबंधन ने 11 सीटों पर जीत हासिल की. लेकिन अब इस गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है.

Rajasthan: चुनाव में 'पाकिस्तान आर्मी' की एंट्री, डोटासरा बोले -'देश में जनप्रतिनिधि की चलेगी या पाकिस्तानी फौजी शासन होगा?" 

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लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राजस्थान में सियासी हलचल तेज हो गई है. प्रदेश में कांग्रेस ने 10 साल बाद जबरदस्त वापसी करते हुए बीजेपी को शिकस्त दी. कांग्रेस गठबंधन ने 11 सीटों पर जीत हासिल की. लेकिन अब इस गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है. दरार इसलिए क्योंकि हनुमान बेनीवाल नाराज चल रहे हैं. नागौर सीट पर कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ने वाले आर हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) अब कांग्रेस से खुलकर नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं. बेनीवाल का कहना है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन इंडिया गठबंधन की बैठक में उन्हें नहीं बुलाया गया. 

बेनीवाल का कहना है कि उनके कारण कांग्रेस को काफी फायदा मिला. लेकिन उन्हें इंडिया गठबंधन की बैठक में नहीं बुलाया गया. जिसके चलते वह कांग्रेस से नाराज हैं. लेकिन बेनीवाल ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह इंडिया गठबंधन से अलग नहीं हो रहे हैं.  

 

 

सिर्फ हनुमान बेनीवाल ही नहीं, बल्कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) को लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म हे. खबरें थी कि इंडिया गठबंधन से नाराजगी के बाद बेनीवाल एनडीए का रुख कर सकते हैं. लेकिन इसे लेकर रोत का बयान सामने आ गया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा "बांसवाड़ा संसदीय क्षेत्र में हमारा NDA में सम्मिलित होने की जूठी अफवाह फैला कर विरोधी खुश हो रहे हैं. इन अफवाहों से बचे, बीएपी विपक्ष के साथ स्वतंत्र रहकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के हकों की लड़ाई लड़ेगी." 

पहले भी एनडीए के हिस्सा रह चुके हैं बेनीवाल

बता दें कि इससे पहले बेनीवाल एनडीए गठबंधन में सहयोगी थे. साल 2019 का लोकसभा चुनाव भी उन्होंने बीजेपी के समर्थन से जीता था. नागौर से सांसद बनने के बाद उन्होंने मोदी सरकार को समर्थन दिया था. लेकिन किसान आंदोलन के मुद्दे पर उन्होंने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. 

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