CM भजनलाल शर्मा ने 1 घंटे तक की वसुंधरा राजे से मुलाकात, जानें क्या है इसके मायने

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08 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 8 2024 2:53 PM)

Rajasthan Bjp: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात की है.

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Rajasthan Bjp: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (CM Bhajanlal Sharma) ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उनके आवास पर करीब 1 घंटे तक मुलाकात की है. उन्होंने यह मुलाकात रविवार को राजे के सिविल लाइंस के 13 नम्बर बंगले पर शाम करीब 5 से 6 बजे तक की. राजस्थान में उपचुनाव से पहले उनकी ये मुलाकात सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है. खास बात ये है कि 10 जुलाई को प्रदेश में बजट भी पेश किया जाएगा. ऐसे में जानते हैं कि सीएम भजनलाल और वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के बीच 1 घंटे की मुलाकात के क्या मायने हैं?

मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम भजनलाल शर्मा की पूर्व सीएम राजे से यह दूसरी मुलाकात थी. इससे पहले उन्होंने लोकसभा चुनाव (Loksabha Election Result 2024) से पहले भी जनवरी में राजे से उनके बंगले पर मुलाकात की थी. रविवार को एक घंटे हुई मुलाकात की वजह आगामी दिनों में होने वाले उपचुनाव को लेकर रणनीति और बजट पर चर्चा को बताया गया.

मुलाकात को किरोड़ी के इस्तीफे से जोड़कर देखा जा रहा

भजनलाल और राजे की इस मुलाकात को किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे से भी जोड़कर देखा जा रहा है. क्योंकि 5 सीटों पर आगामी महीनों में उपचुनाव होने हैं और इससे पहले किरोड़ी के इस्तीफे से पार्टी के भीतर खलबली मच गई है. इसकी वजह ये है कि 4 जुलाई को जब इस्तीफे की खबर सामने आई, उसी दिन किरोड़ीलाल मीणा और पूर्व सीएम राजे ने शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से आशीर्वाद लिया था. दोनों नेताओं की ओर से एक ही दिन में शंकराचार्य से आशीर्वाद लेने की तस्वीरें सामने आई तो चर्चा यह भी शुरू हो गई कि क्या क्या पार्टी में कोई नई खिचड़ी पकने जा रही है.

राजे को साइडलाइन करने से बीजेपी को हुआ नुकसान!

नवंबर 2023 में हुए राजस्थान विधानसभा के चुनाव और अप्रैल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ज्यादा एक्टिव नहीं दिखीं. पार्टी ने राजे को कोई बड़ी जिम्मेदारी भी नहीं दी. इसलिए राजे दोनों ही चुनावों में दूर रही जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा. लोकसभा चुनाव में तो राजे ने अपने आपको झालावाड़ लोकसभा सीट तक ही सीमित कर लिया. इसके बाद पार्टी को प्रदेश में 11 सीटें खोनी पड़ी. सियासी जानकारों का मानना है कि अगर राजे लोकसभा चुनाव में एक्टिव रहती तो पार्टी को इसका काफी फायदा मिलता. अब अगर 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले वसुंधरा राजे को पार्टी में एक्टिव नहीं किया गया तो पार्टी को एक बार फिर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. 

उपचुनाव में सता रहा हार का डर

राजस्थान में 5 सीटों पर उपचुनाव होना है. इनमें से तीन सीटें दौसा, झुंझुनूं और देवली उनियारा कांग्रेस के पास थी जबकि खींवसर आरएलपी और चौरासी बीएपी के पास थी. इन 5 में से एक भी सीट बीजेपी के पास नहीं थी. ऐसे में उपचुनाव से पहले बीजेपी को एक बार फिर से हार का डर सता रहा है. भजनलाल के सीएम बनने के बाद पार्टी लोकसभा चुनाव में बड़ा नुकसान उठा चुकी है. ऐसे में वह एक और हार का सामना करने के लिए तैयार नहीं है. इसलिए उपचुनाव से पहले राजे को मनाने की कोशिश हो रही है. माना जा रहा है कि अगर राजे एक्टिव होती हैं तो इसका फायदा निश्चित तौर पर पार्टी को मिलेगा और उपचुनाव में प्रदर्शन बेहतर हो सकता है. 

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