Ashok Gehlot camp leader ticket may be cut: राजस्थान विधानसभा चुनाव (rajasthan assembly election) को लेकर 18 अक्टूबर को सीईसी की बैठक हो गई. पहली लिस्ट जारी होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन यह इंतजार लंबा हो गया है. वहीं, अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot) के खास तीन नेताओं पर संकट आ गया है. टिकट के लिए दावेदारी जता रहे नेताओं को अब 25 सितंबर का घटनाक्रम याद दिलाया जा रहा है. कहा ये भी जा रहा है कि पार्टी आलाकमान के खिलाफ बगावत करने वाले गहलोत के इन वफादारों को अपना टिकट खोना पड़ सकता है. क्योंकि केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) ने दो मंत्रियों सहित तीन मौजूदा विधायकों की उम्मीदवारी पर सवालिया निशान लगा दिया है.
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जबकि मुख्यमंत्री ने इस पर चुप्पी साधे रखी. उन्होंने मौजूदा विधायकों को बनाए रखने पर जोर दिया, क्योंकि उन्होंने पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की थी. कोटा में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी को मिली भ्रष्टाचार की नकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए दिग्गज नेता शांति धारीवाल का नाम रोक दिया गया था. जबकि धारीवाल के साथ बगावत का नेतृत्व करने वाले महेश जोशी का नाम भी सर्वे सूची में भी नहीं है.
मंत्री महेश जोशी पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में ही डेरा डाले हुए हैं. साथ ही राजस्थान पर्यटन विभाग के निगम अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ की उम्मीदवारी पर भी तलवार लटक रही है. क्योंकि अनुशासनहीनता के चलतने पार्टी ने जिन 3 नेताओं को नोटिस भेजा था, उसमें राठौड़ भी शामिल थे. संभावना है कि दौसा में प्रियंका गांधी वाड्रा की रैली के बाद घोषणा की जाएगी.
धीरज गुर्जर के टिकट पर भी संकट!
इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि धीरज गुर्जर का भी टिकट पार्टी सर्वे में रिपोर्ट अच्छी नहीं होने के चलते काटा जा सकता है. जहाजपुर निर्वाचन क्षेत्र पर चर्चा होने के दौरान पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इसे लंबित सूची में रखा जाना चाहिए, जिस पर बाद की तारीख में फैसला किया जाएगा. धीरज को अपनी कार्यशैली को लेकर यूपी में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
आलाकमान ने बुलाई बैठक, गहलोत गुट ने किया था बहिष्कार
बता दें कि जयपुर में 25 सितंबर को बुलाई गई विधायक दल की बैठक का गहलोत गुट के विधायकों ने बहिष्कार कर दिया. केवल बैठक का ही बहिष्कार नहीं किया, बल्कि कहा गया कि कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगा. इसके साथ शर्तें भी रख दी कि सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही सीएम बने. दूसरी शर्त ये थी कि सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाए. तीसरी शर्त भी रखी कि जो भी नया मुख्यमंत्री हो, वो गहलोत की पसंद का ही होना चाहिए.
जब बैठक के लिए पार्टी ने राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा गया तो गहलोत समर्थक विधायकों ने बगावत बुलंद कर दी और बैठक से पहले अपनी अलग मीटिंग की. मंत्री शांति धारीवाल के घर पर विधायक जुटे. इस बैठक के बाद गहलोत खेमे के विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचे और करीब 80 से ज्यादा विधायकों ने पायलट के सीएम बनाए जाने के विरोध में अपना इस्तीफा सौंप दिया.
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