Rajasthan Assembly election 2023: कांग्रेस आलाकमान राजस्थान की सियासत को समझ नहीं पा रहा. अजय माकन के बाद अब राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी कुछ ऐसी ही चुनौती झेल रहे है. ना तो उनकी बैठक को तवज्जों मिल रही है और ना ही मंत्री-विधायक की मौजूदगी होती है. हाल ही में जब बीतें 28 जनवरी को सुखजिंदर सिंह रंधावा ने जयपुर संभाग में मीटिंग बुलाई तो कांग्रेस नेता और सरकार में शामिल कई मंत्री नदारद रहे.
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कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव, जलदाय मंत्री महेश जोशी, सैनिक कल्याण राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा, स्वास्थय मंत्री परसादी लाल मीणा और मंत्री मुरारी लाल मीणा जैसे कई नाम इस बैठक से गायब रहे. प्रभारी की इस बैठक का उद्देश्य था हाथ से हाथ जोड़ो अभियान. जिसके जरिए रंधावा राजस्थान में कांग्रेसियों को एकजुट करने निकले हैं. लेकिन गहलोत के कुछ मंत्रियों और विधायकों को भी जुटा पाने में नाकाम रहे, ठीक वैसे ही जैसे पिछली बार अजय माकन हुए.
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सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच 4 साल का विवाद चुनावी साल में चरम पर पहुंच गया. जब गहलोत के निकम्मा-नकारा वाले बयान पर पायलट ने इशारों-इशारों में पलटवार कर दिया. कॉलेज छात्रों की युवा संगम जनसभा में यहां तक कहा कि मेरा बार-बार अपमान हुआ. वहीं, गहलोत का नया कोरोना वाला बयान भी काफी चर्चित रहा. इन बयानबाजी की आक्रामकता के बाद अब जानकार भी मानते है कि ऐसा लगता है मानो राजस्थान कांग्रेस आलाकमान से अलग राह चलने का मूड बना चुकी है. तभी तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हो या नए प्रभारी रंधावा, आलाकमान की हर अपील के बावजूद भी प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी थम नहीं रही.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने श्रीगंगानगर में हाथ से हाथ जोड़ो अभियान की शुरुआत की. इस दौरान राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, प्रभारी मंत्री गोविंद मेघवाल, विधायक राजकुमार गौड़, विधायक गुरमीत कुनर, विधायक जगदीश जांगिड़, प्रभारी जियाउर रहमान आदि मौजूद थे. तब रंधावा ने चेतावनी भरे लहजे हुए कहा था कि पार्टी सबसे ऊपर है और हर कार्यकर्ता का सम्मान होगा. उन्होंने यह भी कहा कि ब्लॉक अध्यक्षों को मंच पर आगे की ओर बिठाना चाहिए. जो नेता पार्टी से ऊपर उठकर बातें करते हैं उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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