BJP: नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश में जुट गई बीजेपी! राजस्थान के इस नेता पर लग सकती है मुहर, जानें कौन हैं ये?

राजस्थान तक

12 Jun 2024 (अपडेटेड: Jun 12 2024 7:00 PM)

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब बीजेपी में संगठन बदलाव की चर्चा है. चर्चा इस बात को लेकर भी है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की जगह कोई अन्य नेता लेगा. नड्डा के अब मोदी कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री बनाए जाने के बाद इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि BJP ‘एक व्यक्ति एक पद’ के सिद्धांत के चलते इसी महीने के भीतर नए अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है.

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लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब बीजेपी में संगठन बदलाव की चर्चा है. चर्चा इस बात को लेकर भी है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की जगह कोई अन्य नेता लेगा. यह कयास तब और भी प्रबल हो गए जब नड्डा को कैबिनेट में लिया गया. नड्डा के अब मोदी कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री बनाए जाने के बाद इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि BJP ‘एक व्यक्ति एक पद’ के सिद्धांत के चलते इसी महीने के भीतर नए अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है. क्योंकि नड्डा का कार्यकाल इसी महीने खत्म हो रहा है. इसी बीच पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में कई चेहरे सामने आ रहे हैं. कभी अनुराग ठाकुर तो कभी राजस्थान से ओम बिरला के नाम की चर्चा हो रही है. 

लेकिन राजस्थान (Rajasthan News) से जुड़ाव रखने वाले एक और नेता का नाम इस दौड़ में शामिल बताया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल को यह जिम्मेदारी मिल सकती है. 

कौन हैं सुनील बंसल?

यह पहली बार नहीं है जब उनका नाम इस तरह से चर्चा में आया है. इससे पहले भी बंसल का नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित दावेदार के तौर पर भी खूब उछला था. बता दें कि 20 सितंबर 1969 को उनका जन्म राजस्थान के जयपुर में कोटपुती में हुआ था. उन्होंने छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य के तौर पर राजनीति शुरू की. साल 1989 में वह राजस्थान यूनिवर्सिटी के महासचिव भी चुने गए. इसके बाद आरएसएस से जुड़ गए. 1990 में आरएसएस प्रचारक के तौर पर काम शुरू किया. जिसके बाद वह बीजेपी सदस्य के तौर पर सक्रिय राजनीति में आ गए. 

अमित शाह के करीबी माने जाते वाले बंसल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी अहम जिम्मेदारी निभाई थी. पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर सत्ता में आने की कोशिश में जुटी रही बीजेपी ने यूपी में बंसल को ही जिम्मा सौंपा था. उन्होंने यूपी के को-इंचार्ज के तौर पर पन्ना प्रमुख की रणनीति को जमीन पर उतारने में बड़ी भूमिका निभाई. इसके बाद शाह और बंसल की जोड़ी को यूपी में अहम माने जाना लगा था. 

 

कई राज्यों में संगठन कमजोर, कुशल संगठनकर्ता के तौर पर हो सकते हैं पसंद?

खास बात यह भी है कि बीजेपी का प्रदर्शन बीते दो लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार निराशाजनक रहा है. पार्टी को महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है. ऐसे में नए अध्यक्ष के कंधों पर इन राज्यों में संगठन को नए सिरे से मजबूत करने की चुनौती भी होगी. अगर कर्नाटक को छोड़ दें तो कई राज्यों में सरकार और संगठन का तालमेल बैठाना भी काफी अहम होगा. ऐसे में अपने पुराने अनुभवों के चलते बंसल कुशल संगठनकर्ता के तौर पर पार्टी की पसंद हो सकते हैं.  

 

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