दिग्गज वही लेकिन तस्वीर नई! एक बार फिर आमने-सामने होंगे बेनीवाल और डॉ. ज्योति मिर्धा, सामने आई बड़ी अपडेट

राजस्थान तक

05 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 5 2024 7:08 PM)

लोकसभा चुनाव-2024 में नागौर से डॉ. ज्योति मिर्धा के सामने मैदान में आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल हो सकते हैं. ऐसा हुआ तो दोनों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है.

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लोकसभा चुनाव को लेकर राजस्थान में कई नए समीकरण दिख रहे हैं. बीजेपी की पहली लिस्ट में नागौर से डॉ. ज्योति मिर्धा को टिकट मिला है. जिनके सामने मैदान में आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल हो सकते हैं. दिलचस्प बात यह है कि बेनीवाल को कांग्रेस का साथ मिल सकता है. ऐसा हुआ तो बेनीवाल और मिर्धा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. यह इसलिए भी खास बात है क्योंकि नागौर की राजनीति में दोनों ही परिवारों का बड़ा रूतबा है. ऐसे में शेखावाटी बेल्ट पर एक बार फिर रोचक मुकाबला दिखेगा.

ऐसे कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं क्योंकि हनुमान बेनीवाल का कांग्रेस से गठबंधन तय माना जा रहा है. हालांकि गठबंधन की आधिकारिक घोषणा होना बाकी है. फिलहाल बेनीवाल और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली दौरे पर है.

 

 

बेनीवाल से पुराना हिसाब चुकता कर पाएंगी मिर्धा? 

चर्चाएं है कि आरएलपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन पर आज मुहर लग सकती है. ऐसा हुआ तो कांग्रेस और आरएलपी के साझा उम्मीदवार के तौर पर खुद हनुमान बेनीवाल नागौर से चुनाव लड़ेंगे. 2014 हो या 2019 का लोकसभा चुनाव, हर बार ज्योति मिर्धा को बेनीवाल के चलते सीट पर हार मिली. 2014 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे बेनीवाल को एक लाख से ज्यादा वोट लिए थे. जिसके चलते बीजेपी के सीआर चौधरी लोकसभा सांसद चुने गए थे.

जबकि साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी के साथ गठबंधन करके ज्योति मिर्धा को 1 लाख 81 हजार वोटों से शिकस्त दी थी. उससे पहले 2014 के चुनाव में भी हनुमान बेनीवाल ने निर्दलीय ताल ठोकीं. जिसके चलते बेनीवाल के साथ ही ज्योति मिर्धा भी चुनाव हार गई थी. अब कहानी पूरी तरह बदल गई है. बेनीवाल एनडीए गठबंधन से बाहर हैं और अब ज्योति मिर्धा बीजेपी की सदस्य हैं. जाहिर तौर पर बेनीवाल के दूर होने के बाद बीजेपी नागौर में मिर्धा के भरोसे भरपाई करेगी. 

विधानसभा चुनाव में मिर्धा ने बेनीवाल के खिलाफ रचा था चक्रव्यूह

हालांकि 2023 के विधानसभा चुनाव में बेनीवाल को हार का स्वाद चखाने के लिए मिर्धा ने भी रणनीति बनाई थी. उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद खींवसर विधानसभा क्षेत्र के 40 सरपंचों को आरएलपी पार्टी से तोड़कर बीजेपी पार्टी में शामिल कर लिया. इसी दौरान खींवसर में हनुमान बेनीवाल के करीबी कहे जाने वाले रेवंतराम डांगा को बीजेपी ने टिकट भी दिया. लेकिन बेनीवाल का रथ रोक पाने में मिर्धा नाकाम रही. 

ज्योति मिर्धा ने बेनीवाल के परिवार को कहा था दल-बदलू  

दोनों के बीच तीखी बयानबाजी भी देखने को मिल चुकी है. बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद ज्योति मिर्धा ने बयान दिया था कि यहां के सांसद (हनुमान बेनीवाल) मेरे बीजेपी में शामिल होने के बाद से लगातार मुझ पर बयानबाजी कर रहे हैं. वे कह रहे हैं कि बाबा और उनकी पोती दल-बदलू हैं. ज्योति ने कहा कि मैं यहां साफ कह देना चाहती हूं कि हम दल-बदलू हैं या नहीं, लेकिन सांसद बेनीवाल का पूरा परिवार दल-बदलू है. उन्होंने सांसद के पिता स्व. रामदेव चौधरी का नाम लेकर कहा कि वे सन् 19977 में कांग्रेस आई से जीते, 1980 में कांग्रेस एस से चुनाव हारे और उसके बाद अगला चुनाव लोकदल लड़े. फिर जनता पार्टी से और फिर वह बीजेपी का टिकट लेकर भी आ गए. हालांकि उनका चुनाव से पहले ही निधन हो गया. उन्होंने हर चुनाव अलग-अलग पार्टियों से लड़ा. यही स्थिति नागौर सांसद की है.

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