बीजेपी के बागी प्रहलाद गुंजल को कांग्रेस ने क्यों दिया टिकट? ओम बिरला के समर्थन में उतरे राजावत ने बता दी पूरी कहानी!

चेतन गुर्जर

02 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 2 2024 12:37 PM)

हाड़ौती में सियासी घमासान तेज हो गया है. बीजेपी प्रत्याशी और स्पीकर ओम बिरला को चुनौती उन्हीं की पार्टी से बगावत कर चुके कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल चुनौती दे रहे हैं. वहीं, अब बीजेपी के दिग्गज नेता भवानी सिंह राजावत भी आक्रामक नजर आ रहे हैं.

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हाड़ौती में सियासी घमासान तेज हो गया है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) प्रत्याशी और स्पीकर ओम बिरला (OM Birla) को चुनौती उन्हीं की पार्टी से बगावत कर चुके कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल (Prahald Gunjal) चुनौती दे रहे हैं. पूर्व मंत्री शांति धारीवाल का साथ मिलने से गुंजल उत्साहित नजर आ रहे हैं. वहीं, मैदान में अब एक और दिग्गज की एंट्री होती दिख रही है. पूर्व विधायक और बीजेपी के दिग्गज नेता भवानी सिंह राजावत भी चुनाव की तैयारी को लेकर आक्रामक नजर आ रहे हैं. उन्होंने बीतें 1 अप्रैल सोमवार को बीजेपी कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्हों पुराने साथी गुंजल पर तीखा हमला बोला. 

राजावात ने कहा कि गुंजल खुद को फकीर कह रहे हैं. वह 40 करोड़ की कोठी वाले फकीर हैं. उनकी कोठी सड़क पर अतिक्रमण कर बनाई गई है, इस कोठी के लिए उन्होंने यूआईटी के अधिकारियों पर दबाव डालकर मास्टर प्लान तक बदलवा लिया.

इस दौरान उन्होंने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा कि गुंजल सीना ठोककर कहते थे कि मैं अपने कार्यकर्ताओं के लिए जान दे दूंगा, जान देने की बात तो दूर उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं का स्वाभिमान ही छीन लिया. उन कार्यकर्ताओं के दिल पर क्या गुजरेगी, जिन्होनें भारतीय जनता पार्टी के लिए संघर्ष करते हुए लाठियां खाई और जेलों मे गए. विधानसभा चुनाव मे हार पर निराश होकर जहर तक खा लिया, ऐसे कार्यकर्ताओं की आपने सुध तक नहीें ली. 

राजावत ने ओम बिरला की तारीफ 

इसके विपरीत बीजेपी से लोकसभा के प्रत्याशी बनाए जाने पर 2014 और 2019 मे लोकसभा के अध्यक्ष बनने तक ओम बिरला ने कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र का भारत की संसद मे लगाातार नाम रोशन किया हैं. समय-समय पर क्षेत्र की जनता के हर सुख-दुख मे उनके साथ खड़े रहकर हाड़ौती का नाम रोशन किया हैं.

"कांग्रेस इतनी कमजोर हो गई है कि..."

उन्होंने कहा कि आज पूरे देश मे कांग्रेस पार्टी के बडे़ नेता चुनाव मे हार के डर से प्रत्याशी नही बनना चाह रहे. चाहे वो राजस्थान मे राजसमन्द से सुदर्शन सिंह रावत, जयपुर से प्रतापसिंह खाचरियावास हो या झुंझुनु से बृजेन्द्र ओला. सीकर से कम्यूनिस्ट पार्टी के अमराराम और नागौर से आरएलपी प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल के बाद ऐसा लगता हैं कि कांग्रेस इतनी कमजोर हो गई कि इन पर दांव खेल रही हैं. 

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