राजस्थान (rajasthan weather update) में मानसून की बारिश कहीं सुकूंन बनकर बरसी तो कहीं तबाही बनकर. मरू प्रदेश के मरुस्थलीय इलाके जैसलमेर (jaisalmer flood) में काले घने बादलों ने ऐसा तांडव दिखाया कि हर तरफ पानी ही पानी हो गया. सड़कें और गलियां पानी में विलीन हो गए. कई घर तबाह हो गए और जिससे बेघर हुए लोग इस प्राकृतिक आपदा पर मानसून को कोसने लगे.
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यही नहीं जैसलमेर (jasalmer weather news) की शान 870 साल पुराने यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल सोनार का किला (sonar fort in jaisalmer) भी धुंआधार बारिश को सह नहीं पाया और दीवारें दरकने लगीं. कंगूरे टूट कर धरती पर लोट गए. किले के आसपास के दुकानदार और सड़क पर गुजरने वाले राहगीरों में डर समा गया कि यदि बड़े-बड़े पत्थरों से बने किले की दीवार दीवार फिर टूटी तो बड़ा हादसा हो सकता है. किले के भीतर रहने वाले लोगों में भी खौफ का माहौल है.
मंगलवार को सोनार किले की एक दीवार टूट गई. घटना के बाद आक्रोशित सोनार किले के निवासियों ने मंगलवार रात किले के प्रथम गेट अखे प्रोल के आगे बैठकर धरना देते हुए अपनी मांगों को लेकर न केवल अपना अनूठा विरोध जताया बल्कि पुरातत्व विभाग को सद्बुद्धि देने के लिए दुर्ग के लोगों ने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया.
किले में रहने वाले उसे गिरता देखने को हैं मजबूर
दुर्गवासियों ने बताया कि किले के भीतर उनके जो मकान हैं उनकी वे मरम्मत तक नहीं करा सकते. इसके लिए उन्हें पुरातत्व विभाग की स्वीकृति की जरूरत होती है जो उन्हें मिल नहीं रही है. बावजूद इसके जर्जर हो रहे मकान की मरम्मत अगर किसी ने करा भी दी तो पुरातत्व विभाग उन्हें नोटिस दे रहा है और FIR तक करा देता है.
गणेश प्रोल भी गिरने के कगार पर
दुर्गवासियों ने बताया कि आज तो किले की दीवार गिरी है, उनके घरों की नहीं. किले का तीसरा द्वार गणेश प्रोल भी गिरने की कगार पर पहुंच गई है. इस संबंध में दुर्गवासियों ने पहले भी कई बार यह मांग उठाई. यदि वे किले के अंदर अपने घरों की मरमत नहीं करेंगे तो उनके घर भी गिरेंगे. अधिकारियों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों को भी इसकी जानकारी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
870 साल पुराने किले में रहते हैं 3000 लोग
किले के निवासियों का कहना है कि 870 साल पुराने यूनोस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट सोनार दुर्ग में करीब 3000 लोग रह रहे हैं. इनके पूर्वज पीढ़ियों से यहां निवास करते आ रहे हैं, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के ऐसे कानून बने हुए हैं कि दुर्गवासियों को अपने मकानों की मरम्मत करवाने से लेकर बिजली और पानी के कनेक्शन तक के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. नगर परिषद से एनओसी जारी होने के बाद ही बिजली व पानी के कनेक्शन दिए जाते है. दुर्गवासियों की पिछले लंबे समय से पुरातत्व विभाग के कानून बदलने की मांग की जा रही है.
जिला कलेक्टर प्रतापसिंह ने बताया कि जिले में जल भराव वाले कई गांवो जिसमें रातड़िया, फुलासर, सांकड़िया, आदि प्रमुख हैं के वाशिंदों को ऊंचाई वाले सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया गया है. मोहनगढ़ इलाके में जिप्सम की खानों में बरसाती पानी में फंसे हुए 3 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है.
महाभारत कालीन काक नदी बहने लगी
जैसलमेर में महाभारत कालीन काक नदी जो सूख गई थी उसमें पानी की धार देखते ही बन रहा है. कहा जा रहा है कि साल 2006 में जैसलमेर में ऐसी बाढ़ आई थी जिसने तबाही मचाई थी. ध्यान देने वाली बात है कि बॉर्डर वाले जिले जैसलमेर में पिछले तीन दिनों में ही 250 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हो चुकी है. ये सामान्य से 148 प्रतिशत ज्यादा है.
इनपुट: विमल भाटिया
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