Rajasthan Tourism: भालुओं को पसंद नहीं आ रहा सरिस्का, जंगल में रोकना बना चुनौती, तीन बार हो चुके फरार

Rajasthan Tourism: राजस्थान में पर्यटन बढ़ाने के लिए सरिस्का (Sariska Tiger Reserve) के जंगल में भालू लाए गए थे. लेकिन अब भालुओं को सरिस्का का जंगल (Bears in Sariska) रास नहीं आ रहा है. इसका कारण है कि आए दिन भालू जंगल से बाहर निकल जाते हैं. बीते एक माह में तीन बार भालू का […]

Rajasthan Tourism: भालुओं को पसंद नहीं आ रहा सरिस्का, जंगल में रोकना बना चुनौती, तीन बार हो चुके फरार

Rajasthan Tourism: भालुओं को पसंद नहीं आ रहा सरिस्का, जंगल में रोकना बना चुनौती, तीन बार हो चुके फरार

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Rajasthan Tourism: राजस्थान में पर्यटन बढ़ाने के लिए सरिस्का (Sariska Tiger Reserve) के जंगल में भालू लाए गए थे. लेकिन अब भालुओं को सरिस्का का जंगल (Bears in Sariska) रास नहीं आ रहा है. इसका कारण है कि आए दिन भालू जंगल से बाहर निकल जाते हैं. बीते एक माह में तीन बार भालू का रेस्क्यू करके वापस उनको जंगल में लाया गया. इसके अलावा एक भालू सरिस्का के जंगल से गायब है. उसकी सरिस्का प्रशासन व वन कर्मियों के पास कोई जानकारी नहीं है. ऐसे में भालुओं की साइटिंग तो दूर भालू को जंगल में रोकना भी सरिस्का प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है.

सरिस्का जंगल में जालोर व माउंट आबू (Mount Abu) के जंगल से तीन भालू लाए गए थे. अभी एक और मादा भालू जालोर से आनी है. तीनों भालुओं को सरिस्का के ताल वृक्ष के जंगल क्षेत्र में छोड़ा गया था. सरिस्का में आने के बाद लगातार भालू जंगल से बाहर निकलकर आबादी क्षेत्र में पहुंच रहे हैं. भालू कुछ समय पहले बानसूर क्षेत्र के हरसोरा के पहाड़ों में पहुंच गए थे. उसके बाद मादा भालू पहले इंदोक की पहाड़ी पर पहुंच गई थी. जिसे रेस्क्यू कर वापस सरिस्का के जंगल में छोड़ा गया. तो कुछ दिन यह मादा भालू ग्राम बल्लाना होते हुए जयसमंद बांघ और शहर के नजदीक दादर गांव तक पहुंच गई. तीन दिनों तक भालू आबादी के आसपास घूमती रही. गनीमत यह रही कि आबादी के अंदर तक यह नहीं पहुची. वनकर्मियों ने मशक्कत के बाद मादा भालू को एमआइए के समीप से रेस्क्यू किया. उसके बाद वापस भालू को सरिस्का के जंगल में छोड़ा गया. अब तक तीन बार ट्रेंकुलाइज करके वापस भालू को आबादी क्षेत्र से जंगल में छोड़ा गया है.

 प्रशासन के लिए सिरदर्द बने भालू

ऐसे में भालू सरिस्का प्रशासन के लिए सिरदर्द बने चुके हैं. तो लोगों के लिए खतरा. जंगल से निकलकर आबादी और पहाड़ी क्षेत्रों तक दौड़ लगा रहे हैं. हालांकि जंगल में अभी तक भालुओं की लोगों को साइटिंग नहीं हुई है. बाघों से अलग क्षेत्र में भालू को रखा गया है. वहां सफारी का रूट नहीं है. इसलिए पर्यटकों को भालू की सेटिंग नहीं हुई. भालू के लिए अलग से सफारी का रूट बनाया जाएगा. उसके बाद पर्यटक भालू की साइटिंग कर सकेंगे. उसके लिए पर्यटकों को अभी इंतजार करना पड़ सकता है.

सरिस्का में पहले भी रहे है भालू

एक भालू छह-सात साल सरिस्का में था. जो अचानक गायब हो गया. भालू की काफी तलाश की गई, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल सका. हालांकि उसे समय पर्यटकों को भालू की साइटिंग होती थी. कई बार पर्यटकों के कमरे में भालू कैद हुआ. लेकिन उसके बाद भालू का शिकार हुआ या बालू जंगल से चला गया. इस बात का किसी को पता नहीं चला.

सरिस्का का जंगल है खूबसूरत

सरिस्का का जंगल घना होने के साथ ही खूबसूरत है. जंगल में खाने पीने के पर्याप्त इंतजाम है. उसके बाद भी जंगल में भालू नहीं रुक रहे हैं. तीन भालू को अब तक जंगल में शिफ्ट किया गया. जिसमें से एक भालू गायब है. दूसरी मादा भालू लगातार बाहर घूम रही है. तीन बार उसको रेस्क्यू करके वापस जंगल में छोड़ा गया है. ऐसे में जंगल में भालू को रोकना सरिस्का प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है.

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