Rajasthan: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पंगा लेना पड़ा भारी, 18 महिलाओं ने धोया नौकरी से हाथ

Dinesh Bohra

• 04:51 AM • 15 Jul 2023

Rajasthan: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को गहलोत सरकार को वादा याद दिलाना इतना महंगा पड़ गया कि राजस्थान के बाड़मेर में 18 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल और अनशन पर बैठ गई है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नेता जमना माहेश्वरी के मुताबिक सत्ता में आने […]

Rajasthan: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पंगा लेना पड़ा भारी, 18 महिलाओं ने धोया नौकरी से हाथ

Rajasthan: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पंगा लेना पड़ा भारी, 18 महिलाओं ने धोया नौकरी से हाथ

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Rajasthan: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को गहलोत सरकार को वादा याद दिलाना इतना महंगा पड़ गया कि राजस्थान के बाड़मेर में 18 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. अब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल और अनशन पर बैठ गई है.

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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नेता जमना माहेश्वरी के मुताबिक सत्ता में आने से पूर्व 2018 में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि उनकी सरकार बनने पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को स्थायी कर दिया जाएगा. साढ़े 4 साल बीत गए, बाकी विभागों के संविदा कर्मियों को सरकार ने राहत दे दी, लेकिन हम इंतजार करते रह गए. इसीलिए हमने बाड़मेर से आंदोलन की शुरुआत की. पूरे राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में गए. यही बात सरकार को खटक गई. 19 अप्रैल को मेरे सहित 7 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नोटिस देकर हटा दिया गया.

कुर्सियां तोड़ने का लगा आरोप

उसके बाद जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बाड़मेर आए तो, हमने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करने की कोशिश की. हम काफी मात्रा में थी, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हमारी मुलाकात महज कुछ सेकंड की हो पाई. उसके बाद वहां पर हम पर कुर्सियां तोड़ने का आरोप और मुख्यमंत्री की खिलाफत करने का आरोप लग गया. जिसके चलते 10 और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को नौकरी से निकाल दिया गया. जमना ने बताया कि हमने कई बार इस मामले को लेकर प्रशासन और सरकार से गुहार लगाई, लेकिन किसी ने हमारी एक नहीं सुनी.

अब हम पीछे हटने वाले नहीं

विधवा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कमला के मुताबिक मेरी तो रोजी-रोटी और घर खर्च आंगनबाड़ी मानदेय पर ही चलता था. लेकिन सरकार के खिलाफ आवाज उठाना महंगा पड़ गया. अब हम पीछे हटने वाले नहीं हैं, जो सरकार महिला सशक्तिकरण के झूठे ढकोसले अपनाकर महिलाओं को सम्मान देने की बात करती है. ऐसी सरकार को अब अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी मनाना बंद कर देना चाहिए. यह सरकार के वादाखिलाफी का सबसे बड़ा उदाहरण है.

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