Krishna Janmashtami: आज कृष्ण जन्माष्टमी है. राजस्थान के धौलपुर (dholpur news) जिले में इस दिन अनोखे सांप्रदायिक सौहार्द का उदाहरण देखने को मिलता है. यहां मुस्लिम कारीगर (Muslim artisans) भगवान श्रीकृष्ण और राधा की अनमोल पोशाकें तैयार करते हैं. इनके द्वारा तैयार की गई पोशाकों (costumes for Radha and Shri Krishna) की डिमांड आगरा, मथुरा, वृंदावन या मध्य प्रदेश तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इन्हें देश के अन्य हिस्सों और विदेशों में बने मंदिरों में विराजमान ठाकुरजी भी पहनते हैं.
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मुस्लिम कारीगर योगेश्वर श्री कृष्ण (Shri Krishana) और राधा (Radha) के लिए मोतियों, नग, शीशा और स्टोन से बनी पचरंगी और जरी की नई-नई डिजाइन वाली सुंदर पोशाकें तैयार करते हैं. यहां अन्य भगवानों की पोशाक बनाने का काम भी लगातार चलता रहता है. लेकिन जन्माष्टमी के मौके पर भगवान श्री कृष्ण और राधा की पोशाकों की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
20 साल से कर रहे हैं पोशाक बनाने का काम
मुस्लिम कारीगरों ने बताया कि वे करीब 20 साल से पोशाक बनाने का काम कर रहे हैं. जिलेभर में 50 से अधिक कारखाने ऐसे हैं जिनमें सिर्फ मुस्लिम कारीगरों द्वारा कान्हा और अन्य भगवानों की पोशाकों को तैयार किया जाता है. एक कारखाने पर करीब सात से 15 कारीगर काम करते हैं. कारीगरों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मथुरा, वृंदावन से उनको कई प्रकार की पोशाक बनाने का ऑर्डर मिलता है. मथुरा-वृंदावन से पोशाक देश विदेश में भी भेजी जाती हैं.
मुस्लिम कारीगरों ने बताया कि पूरे साल भगवानों की पोशाक बना कर हम अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं और यही हमारा रोजगार का साधन हैं. कारीगरों ने बताया कि पोशाक बनाने की उन्हें मजदूरी मिलती हैं और मुनाफा व्यापारी कमाता हैं. लेकिन खुशी है कि हम लोग भगवान की पोशाक बना रहे हैं.
यहीं से पड़ा था भगवान श्रीकृष्ण का नाम रणछोर
योगेश्वर श्री कृष्ण भगवान का नाम रणछोर धौलपुर से ही पड़ा था. भगवान श्री कृष्ण ने यहां मुचकुन्द महाराज से कालयवन को भस्म कराया था. भगवान श्रीकृष्ण की रणछोर नगरी धौलपुर में अब गंगा जमुना तहजीब की एक बेहतरीन मिशाल पेश की जा रही है. ठाकुर जी और राधा के लिए तैयार की जाने वाली पोशाकों में मुस्लिम कारीगर हाथ से पूरी कड़ाई की कारीगरी करते हैं और इसके बाद इन पोशाकों की कटाई और सिलाई की जाती हैं. कारीगर राधा के लिए आकर्षक लहंगा,ओढ़नी और पटुका बना रहे हैं. देश के मंदिरों में योगेश्वर श्रीकृष्ण हाथों से सिली मोतियों, नग, शीशा और स्टोन से बनी पचरंगी और जरी की नक्काशी की पोशाक जब धारण करेंगे हैं तो उनकी सुंदरता में चार चांद लग जाएंगे.
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