Kargil vijay diwas 2023: खेमाराम की यूनिट पाक सेना के नापाक इरादों की खोली थी पोल

Dinesh Bohra

26 Jul 2023 (अपडेटेड: Jul 26 2023 10:48 AM)

Kargil vijay diwas 2023: कारगिल युद्ध में भारत का विजय पताका फहरे आज 24 साल हो गए हैं. 26 जुलाई, 1999 का वो दिन जो भारतीय सेना के जज्बे, पराक्रम और बहादुरी की कहानी कहता है जिसे भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व ने जाना था. इस मौके पर राजस्थान (Rajasthan news) तक बाड़मेर (Barmer […]

Kargil vijay diwas 2023: War hero Khemaram's unit had exposed the nefarious intentions of Pakistani army

Kargil vijay diwas 2023: War hero Khemaram's unit had exposed the nefarious intentions of Pakistani army

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Kargil vijay diwas 2023: कारगिल युद्ध में भारत का विजय पताका फहरे आज 24 साल हो गए हैं. 26 जुलाई, 1999 का वो दिन जो भारतीय सेना के जज्बे, पराक्रम और बहादुरी की कहानी कहता है जिसे भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व ने जाना था. इस मौके पर राजस्थान (Rajasthan news) तक बाड़मेर (Barmer news) के रहने वाले जवान खेमाराम (kargil war hero khemaram) और उनकी यूनिट की गजब की कहानी बता रहा है. खेमा राम की यूनिट ने ही टाइगर हिल (tiger hill) से ऊपर पीपल टू चौकी पर तिरंगा लहराया था. खेमाराम ने हाथों में तिरंगा पकड़ रखा था जो दृश्य भारतीय इतिहास को गौरव से भर देती है.

हम इस कहानी को वीर सैनिक खेमाराम की जुबानी बता रहे हैं. राजस्थान तक से खास बातचीत में खेमाराम बताते हैं…कैप्टन सौरभ कालिया के नेतृत्व में द्रास की पेट्रोलिंग पर गया दल नहीं लौटा. फिर 17 जाट रेजीमेंट की टुकड़ियों को युद्ध के लिए तैयार किया गया. उन्हें पीपल टू हिल पर जाना था. रात में वह टाइगर हिल से ऊपर पीपल टू तक पहुंच चुके थे. दोनों तरफ से रात को फायरिंग में हमारे करीब 40 जवान शहीद हुए और 150 घायल हो गए.

इसी टुकड़ी ने बताया कि घुसपैठिए पाक सैनिक हैं
खेमाराम आगे बताते हैं… हमने तय किया कि दुश्मन को खदेड़ेंगे. उसके बाद टुकड़ी ने इस रणनीति में काम किया. पीपल टू को को दबोच लिया .2 दिन बाद हमने चौकी पर जीत की खुशी में तिरंगा लहराया. खेमाराम ने बताया कि इनकी टुकड़ी ने इस बात का खुलासा किया कि घुसपैठिए कौई और नहीं बल्कि पाक सैनिक हैं. जबकि शुरूआत में ये माना ता रहा था कि आतंकवादियों की ये हरकत है. कारगिल हीरो खेमाराम बताते हैं कि जब कारगिल जीतने के बाद वह लौटे थे तो उनका जबरदस्त तरीके से बाड़मेर के लोगों ने स्वागत किया था. वे कहते हैं कि हाथों में तिरंगा और चेहरे, साथियों के शहादत का दर्द और चेहरे पर जीत की खुशी का वो पल कभी भूल नहीं सकता.

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