Jaisalmer Tourism: राजस्थान टूरिज्म (Rajasthan Tourism) के लिहाज से काफी खास माना जाता है, यहां घूमने के लिए एक से बढ़कर एक स्थान है, आज हम राजस्थान के खूबसूरत जैसलमेर जिले के बारे में आपको बताने वाले हैं, जहां आप अगस्त (Jaisalmer Tour in August) महीने में घूमने के लिए जा सकते है, यहां आपका एक्सपीरियंस अच्छा रहने वाला है. अगस्त में राजस्थान घूमने के लिए जैसलमेर एक बेहतरीन जगह है. यह शहर अपने सुनहरे किले के लिए जाना जाता है, जो थार रेगिस्तान के बीच स्थित है. जैसलमेर में घूमने के लिए कई अन्य ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल भी हैं, जिनमें शामिल हैं:
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जैसलमेर किला: जैसलमेर किला एक ऐतिहासिक किला है यह किला थार रेगिस्तान के बीच स्थित है और भारत के सबसे बड़े और सबसे अच्छे संरक्षित किलों में से एक माना जाता है. किला 12वीं शताब्दी में जैसलमेर के राव जोधा ने बनवाया था. किले का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है और यह अपनी सुनहरी चमक के लिए जाना जाता है. किले में कई महल, मंदिर और अन्य ऐतिहासिक इमारतें हैं.
जैसलमेर किले के प्रमुख आकर्षण इस प्रकार हैं:
मुख्य द्वार: किले का मुख्य द्वार “गेटवे ऑफ इंडिया” के नाम से भी जाना जाता है. यह द्वार 15वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह अपनी सुंदर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है.
महल: किले में कई महल हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध महल हैं “लक्ष्मी निवास महल” और “जय महल”. लक्ष्मी निवास महल एक शाही महल है. जो 17वीं शताब्दी में बनाया गया था. जय महल एक राजपूताना महल है जो 18वीं शताब्दी में बनाया गया था.
मंदिर: किले में कई मंदिर हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध मंदिर हैं “गढ़ गणेश मंदिर” और “सास-बहू मंदिर”. गढ़ गणेश मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो 11वीं शताब्दी में बनाया गया था. सास-बहू मंदिर एक जैन मंदिर है जो 13वीं शताब्दी में बनाया गया था.
अन्य इमारतें: किले में कई अन्य ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध इमारतें हैं “दीवान-ए-आम” और “दीवान-ए-खास”. दीवान-ए-आम एक सार्वजनिक हॉल है जो 16वीं शताब्दी में बनाया गया था. दीवान-ए-खास एक निजी हॉल है जो 17वीं शताब्दी में बनाया गया था. जैसलमेर किला एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है और यह एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है. यह किला राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और इतिहास का प्रतीक है.
सास-बहू मंदिर
सास-बहू मंदिर एक जैन मंदिर है. यह मंदिर 13वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह अपने अद्वितीय वास्तुशिल्प के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर दो मंजिला है और यह लाल बलुआ पत्थर से बना है. मंदिर के सामने एक विशाल आंगन है और आंगन के चारों ओर एक दीवार है. मंदिर के अंदर कई मूर्तियां हैं और मंदिर के ऊपर एक गुंबद है.
सास-बहू मंदिर का नाम इसकी वास्तुकला से लिया गया है. मंदिर दो मंजिला है और पहली मंजिल को सास और दूसरी मंजिल को बहू के लिए कहा जाता है. मंदिर के अंदर कई मूर्तियां हैं और मंदिर के ऊपर एक गुंबद है. गुंबद को दो मीनारें सहारा देती हैं. मंदिर सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है और प्रवेश शुल्क मुफ्त है.
जैसलमेर संग्रहालय
यह संग्रहालय शहर में जैसलमेर में स्थित है.1887 में इसकी स्थापना की गई थी. यह भारत के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है. संग्रहालय में राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाने वाली कलाकृतियों का एक विशाल संग्रह है. संग्रहालय में प्राचीन सिक्के, हथियार, मूर्तियां, चित्र और अन्य कलाकृतियां हैं. संग्रहालय एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है और हर साल लाखों लोग इसे देखने आते हैं.
जैसलमेर संग्रहालय के कुछ प्रमुख आकर्षण इस प्रकार हैं:
प्राचीन सिक्के: संग्रहालय में प्राचीन सिक्कों का एक विशाल संग्रह है. सिक्के विभिन्न राजवंशों के हैं और वे राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं.
हथियार: संग्रहालय में हथियारों का एक विशाल संग्रह है. हथियार विभिन्न समय अवधि के हैं और वे राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं.
मूर्तियां: संग्रहालय में मूर्तियों का एक विशाल संग्रह है. मूर्तियां विभिन्न देवी-देवताओं की हैं और वे राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं.
चित्र: संग्रहालय में चित्रों का एक विशाल संग्रह है. चित्र विभिन्न कलाकारों द्वारा बनाए गए हैं और वे राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं.
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