राजस्थान की वो जगह जहां दूल्हा घोड़े की बजाय ऊंट पर सवार होकर निभाता है शादी की रस्में, परंपरा के बारे में जानकर चौंक जाएंगे आप!

राजस्थान तक

20 May 2024 (अपडेटेड: May 20 2024 2:30 PM)

भारत विविधताओं का देश है. ये विविधता खासकर शादियों में ज्यादा देखने को मिलता है. हर समुदाय के लोगों के अपने रीति-रिवाज और परंपराएं होती हैं. ऐसे ही एक अनोखी परंपरा राजस्थान के रेगिस्तान इलाकों में देखने को मिलती है.

Rajasthantak
follow google news

भारत विविधताओं का देश है. ये विविधता खासकर शादियों में ज्यादा देखने को मिलता है. हर समुदाय के लोगों के अपने रीति-रिवाज और परंपराएं होती हैं. ऐसे ही एक अनोखी परंपरा राजस्थान के रेगिस्तान इलाकों में देखने को मिलती है. दरअसल, राजस्थान (Rajastha News) के रेगिस्तान इलाके में पहले यातायात के संसाधन नहीं होता था तो लोग ऊंट या बैलगाड़ी का इस्तेमाल आने-जाने के लिए करते थे. लेकिन अब यहां पर भी यातायात के साधन उपलब्ध हैं. फिर भी लोग शादियों  में ऊंट का उपयोग करते हैं. यहां दूल्हे शादी के दिन तोरण ऊंट पर मारते हैं. शादी-विवाह के दौरान तोरण की रस्म काफी मायने रखती है.

यह परंपरा निभाने वाली समाज घुमंतू जाति रबारी या मालधारी समुदाय में निभाई जाती है. समाज के लोग शिद्दत से इस परंपरा को संजोए हुए हैं. रेबारी समुदाय में शादी-विवाह के दौरान आज भी पारंपरिक रूप से ऊंट पर ही तोरण की रस्म निभाई जाती है.

राजा करते हैं ऊंट की सवारी!

रेबारी, देवासी और मालधारी समाज के लोग गुजरात के कच्छ, सौराष्ट्र, मारवाड़, मेवाड़ और शेखावटी में ज्यादा रहते हैं. इनका मुख्य काम पशुपालन रहा है. यहां के लोगों का मानना है कि सूखे और अकाल के समय ऊंट ही उनके काम आता है, इसलिए वो सबसे ज्यादा प्यार और आदर ऊंट को ही देते हैं. इनमें शादी वाले दिन दूल्हे को राजा माना जाता है और राजा की सवारी ऊंट पर होती है. हजारों साल पुरानी यह परंपरा आज भी शादियों में तोरणद्वार पर निभाई जाती है. बुजुर्गों के अलावा इस समाज के युवा भी इस रस्म को बड़े आदर और प्यार से निभाते हैं.

(राजस्थान तक के लिए इंटर्न कर रही नेहा मिश्रा की स्टोरी)

    follow google newsfollow whatsapp