Jodhpur में डॉक्टर्स ने किया कमाल! बिना चीर फाड़ किए 80 साल की वृद्धा के हार्ट का बदल डाला वाल्व

Jodhpur News: पश्चिमी राजस्थान (Rajasthan News) के सबसे बड़े अस्पताल मथुरादास माथुर अस्पताल के हृदय रोग विभाग (Department of Cardiology) में बुधवार को TAVI (बिना चीरे के हृदय के वाल्व का प्रत्यारोपण) पद्धति से पहली बार एक 80 वर्षीय मरीज के हार्ट का वाल्व (heart valve) बदला है. हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट (Cardiologist) डॉ. पवन सारड़ा […]

Jodhpur में डॉक्टर्स ने किया कमाल! बिना चीर फाड़ किए 80 साल की वृद्धा के हार्ट का बदल डाला वाल्व

Jodhpur में डॉक्टर्स ने किया कमाल! बिना चीर फाड़ किए 80 साल की वृद्धा के हार्ट का बदल डाला वाल्व

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Jodhpur News: पश्चिमी राजस्थान (Rajasthan News) के सबसे बड़े अस्पताल मथुरादास माथुर अस्पताल के हृदय रोग विभाग (Department of Cardiology) में बुधवार को TAVI (बिना चीरे के हृदय के वाल्व का प्रत्यारोपण) पद्धति से पहली बार एक 80 वर्षीय मरीज के हार्ट का वाल्व (heart valve) बदला है. हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट (Cardiologist) डॉ. पवन सारड़ा ने बताया कि मरीज 80 वर्षीया वृद्धा पूरी तरह से स्वस्थ है. उन्हें उपचार के बाद शनिवार देर शाम को छुट्टी दे दी गई.

एमडीएम हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने बताया की मरीज के हृदय तथा शरीर में रक्त पहुंचाने वाली मुख्य नाड़ी (एओर्टा) के मध्य स्थित एऑर्टिक वाल्व में गंभीर सिकुड़न (वालव्यूलर एऑर्टिक स्टेनोसिस) की तकलीफ थी, जिसके चलते मरीज के हृदय पर बहुत दबाव था और मरीज की सांस फूलने लगती थी. ऐसे में मरीज को कभी भी हार्ट फेल्यर या गंभीर अनियमित धड़कन का खतरा था.

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सर्जरी के लिए हाई रिस्क अनफिट थी वृद्धा

सामान्यत इस बीमारी का इलाज चीरे वाले ऑपरेशन से सिकुड़े हुए वाल्व को बदलना रहता है, जिसे सर्जिकल एऑर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट कहते हैं. चूंकि मरीज 80 साल की वृद्धा थीं. तथा उन्हें गंभीर फेफड़ों की बीमारी भी थी, जिसके कारण मरीज सर्जरी के लिए हाई रिस्क अनफिट थी. ऐसे में एऑर्टिक वाल्व का प्रत्यारोपण बिना चीरे, बिना बेहोशी एंजियोग्राफिक विधि से किया जाता है. जिसे ट्रांस कैथेटर एऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन (TAVI) कहा जाता है.

RGHS के तहत फ्री हुआ इलाज

ऐसे में मरीज की इको तथा अन्य जांच करने के बाद TAVI का निर्णय लिया गया. मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता डॉ जयराम रावतानी ने बताया की अब तक ये इलाज जोधपुर के बाहर प्राइवेट अस्पतालों में ही संभव था. जिसका खर्च बीस से पच्चीस लाख तक हो जाता था. लेकिन मथुरादास माथुर अस्पताल में ये RGHS स्कीम के तहत पूरी तरह से निशुल्क हुआ. इस प्रक्रिया के लिये जयपुर के TAVI विशेषज्ञ डॉ रवींद्र सिंह राव की भी विशेष सेवाएं ली गई.

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