CM Gehlot Birthday Special: राजनीति के जादूगर माने जाने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री सीएम अशोक गहलोत का आज जन्मदिन है. 3 मई 1951 को जोधपुर में जन्म लेने वाले गहलोत तीन बार सूबे के सीएम और तीन बार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बन चुके हैं. उनके इस लंबे राजनीति करियर में कई किस्से-कहानियां छिपी हुई हैं. उनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी रोचक बातें हैं जिनके बारे में आम जनता को कम ही मालूम है. तो आज इस खास मौके पर उनके जीवन से जुड़े 5 रोचक और अनसुने पहलू हम आपको बताने जा रहे हैं.
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(1) शादी में नहीं मानी थी ससुराल पक्ष की ये शर्त
सीएम गहलोत की शादी साल 1977 में सुनीता गहलोत के साथ तय हुई. उस समय जातिगत भेदभाव चरम पर था. गहलोत एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष थे जिनकी शादी में सभी वर्गों के लोग जाना चाहते थे लेकिन उनके ससुराल पक्ष के कुछ लोगों को यह बात रास नहीं आई. उन्होंने कहा कि सबको शादी में लाने की क्या जरूरत है? इस पर गहलोत ने कहा कि जहां मेरे भाई-बहन साथ नहीं जा पाएं वहां मैं कैसे जा सकता हूं. आखिरकार उनके ससुराल पक्ष के लोगों को उनकी बात माननी पड़ी.
(2) कड़क चाय के शौकीन हैं गहलोत
पूर्ण रूप से शाकाहारी सीएम अशोक गहलोत को कड़क चाय काफी पसंद है. कहा जाता है कि उनकी गाड़ी में हमेशा बिस्किट का पैकेट साथ रहता है. जब भी उन्हें भूख लगती है वह चाय-बिस्किट खा लेते हैं. अपनी सादगीपूर्ण जीवन शैली के लिए प्रसिद्ध गहलोत सड़क किनारे किसी भी चाय की दुकान पर अपनी गाड़ी रोककर चाय पी लेते हैं.
(3) पत्नी चलाती हैं यूट्यूब चैनल
गहलोत की पत्नी सुनीता गहलोत यूट्यूब पर अपना एक चैनल चलाती हैं. वह इस पर खुद के गाए हुए भजन और लोकगीत अपलोड करती हैं. उनके यूट्यूब पर अब तक 5 वीडियो अपलोड हो चुके हैं जिसके 4 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं. सीएम गहलोत और सुनीता गहलोत के दो बच्चे हैं जिनमें एक बेटा वैभव गहलोत और बेटी सोनिया गहलोत है.
(4) चार हजार वोटों से हार गए थे पहला चुनाव
साल 1977 में अशोक गहलोत ने अपना पहला चुनाव लड़ा था. वह जोधपुर की सरदारपुरा सीट से उम्मीदवार थे. यह इमरजेंसी के बाद का दौर था और जनता कांग्रेस के खिलाफ थी. उनके सामने जनता पार्टी के माधो सिंह खड़े हुए थे. उन्होंने गहलोत को 4 हजार वोटों से हरा दिया था. हालांकि गहलोत जिस सीट से हारे उसी को बाद में अपना गढ़ बनाया. सरदारपुरा सीट से गहलोत ने 5 बार लगातार जीत दर्ज की है.
(5) ऐसे हुई थी राजनीति में एंट्री
विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति और समाज सेवा से जुड़े कार्यों में अशोक गहलोत की काफी रुचि थी. यही कारण रहा कि वह विद्यार्थी जीवन में ही कांग्रेस से जुड़ गए. 1973 से 1979 तक वह वह कांग्रेस की छात्र विंग एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे. उनकी गिनती संजय गांधी के करीबी नेताओं में थी, हालांकि उनको राजनीति में लाने वाली इंदिरा गांधी थीं जो उनके काम से काफी प्रभावित थीं. पूर्वोत्तर क्षेत्र में गहलोत ने शरणार्थियों के लिए काफी काम किया था जिससे प्रभावित होकर इंदिरा उन्हें राजनीति में ले लेकर आईं.
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