Barmer news: बाड़मेर जिले में फसल बीमा 2021 के तहत किसानों ने खाते में 50 पैसे, 1 रूपए से लेकर 20 रुपए तक खाते में ट्रांसफर किए हैं. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्लेम के नाम पर इंश्योरेंस कंपनी ने किसानों के साथ मजाक किया है. क्लेम के नाम पर किसानों के खाते में 50 पैसे, 1 रूपए से लेकर 20 रूपए तक खाते में ट्रांसफर किए हैं. जबकि 2021 में पूरे बाड़मेर जिले में सरकार ने भीषण अकाल घोषित किया था. वहीं इस मामले को लेकर अब राजस्थान और केंद्र की सरकारें एक दूसरे पर जमकर पॉलिटिक्स शुरू कर दी. कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां जमकर राजनीति कर रही हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर इसमें किसानों का क्या कसूर है.
ADVERTISEMENT
बाड़मेर जिले के निंबलकोट गांव निवासी किसान खुमाराम का कहना है कि मेरे 65 बीघा जमीन है. हमने पूरी जमीन पर साल 2021 में खेती की थी. एक बारिश के बाद बारिश नहीं होने से सारी फसलें जलकर नष्ट हो गई. हमें लगा था कि भगवान रूठा है लेकिन सरकार नहीं रूठेगी, बीमा क्लेम अच्छा मिल जाएगा. लेकिन इस बार खाते में सिर्फ 9.62 रुपए बीमा क्लेम आया है. अब जो कर्जा लिया था वो चुकाएं है या फिर घर का खर्चा चलाएं.
किसान गंगाराम का कहना है कि एक बारिश होते ही खेत में बुवाई कर दी थी। उसके बाद बारिश नहीं हुई. 65 बीघा जमीन है, 4 हजार रुपए का प्रीमियम कटा था और 4 हजार रुपए का ही बीमा क्लेम आया है. बुवाई के समय करीब 30 से 35 हजार रुपया खर्च किया था.
कई किसानों के बीमा क्लेम कम आया है तो कई किसान ऐसे भी हैं जिनके खाते में बीमा क्लेम ही अब तक नहीं आया. किसान मगाराम का कहना है कि मेरे 22 बीघा जमीन है, 1031 रुपए का प्रीमियम कटा था. सोसायटी के चक्कर काट रहा हूं. अभी तक खाते में 1 रुपए का भी बीमा क्लेम खाते में नहीं आया है. हालत यह है कि जो बीमा करवाया था, उतने पैसे भी वापस नहीं मिले हैं. मैंने खेत में बाजरा, मूंग, मोठ और ग्वार की बुवाई की थी.
निंबलकोट सोसायटी कॉपरेटिव सोसायटी के व्यवस्थापक जसराज चौधरी का कहना है कि मेरी सोसायटी में किसी किसान के खाते में 2 रुपए, 5 रुपए और 10 रुपए तक का बीमा क्लेम आया है। तो सबसे अधिक awk किसान के 10 हजार का बीमा क्लेम आया है। कई किसान ऐसे भी है, जिनके खाते में अब तक कोई बीमा क्लेम की राशि जमा ही नहीं हुई है।
एक-एक खेत का सर्वे करवाया- कलेक्टर
बाड़मेर के जिला कलेक्टर लोक बंधु ने कहा कि फसल बीमा क्लेम को लेकर इंश्योरेंस कंपनी किसानों को क्लेम कम देना चाहती थी. लेकिन हमने अपने पटवारियों से एक-एक खेत का सर्वे करवाकर और फोटो उपलब्ध करवाए. 2021 में बाड़मेर जिले की सभी तहसीलों को सरकार ने अकालग्रस्त घोषित कर दिया था, लेकिन इंश्योरेंस कंपनी 25 फीसदी का खराबा ही मान रही थी. जिसके बाद हमने अपने पटवारियों से एक-एक खेत की गिरदावरी रिपोर्ट करवाई. जिसके आधार पर नए तरीके से इंश्योरेंस कंपनी ने क्लेम तैयार किया. अब कुछ किसानों के खाते में बहुत कम पैसा आया है. यहां के इंश्योरेंस अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है. लिहाजा हमने कंपनी के बड़े अधिकारियों को तलब किया है. कुल 600 करोड़ के आसपास का क्लेम आना था, उसकी जगह 311 करोड़ का क्लेम ही आया है.
प्रधानमंत्री फसल बीमा क्लेम को लेकर किसान अपने हक के लिए आवाज उठा रहा है. लेकिन दूसरी तरफ अब इस मुद्दे को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस के विधायक हरीश चौधरी ने इस मामले को लेकर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को बाड़मेर के किसानों को पूरा क्लेम दिलाने के लिए अपने निशाने पर लिया है तो दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने सारा ठीकरा राजस्थान की गहलोत सरकार पर फोड़ दिया है.
पहले भी हुआ है किसानों के साथ धोखा
गौरतलब है कि इंश्योरेंस कंपनी ने किसानों के साथ पहली बार धोखा नहीं किया है. इससे पहले साल 2018 का भी बीमा क्लेम अभी अटका पड़ा है. कंपनी ने इस बार भी 25 प्रतिशत तक की क्लेम राशि देने की हामी भरी थी. लेकिन जिला प्रशासन के दबाव के चलते बीमा कंपनी ने क्लेम राशि को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत किया था. फिलहाल, बाड़मेर के किसान न्याय के लिए सरकार से उम्मीदें लगाए बैठे है. ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार किसानों के साथ कब तक न्याय करती है.
यह भी पढ़ें: नेता प्रतिपक्ष कटारिया बोले- पेपर लीक प्रदेश का दुर्भाग्य, 50 लाख छात्रों को मिला धोखा
ADVERTISEMENT