Rajasthan News: राजस्थान के बसेड़ी विधानसभा से कांग्रेस के विधायक और एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा ने अपने बाड़मेर दौरे के दौरान बड़ा बयान देते हुए कहा है कि राजस्थान की राजनीति में जल्द ही बड़ा बदलाव हो सकता है. सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने के सवाल पर बैरवा ने कहा कि ये तो बहुत पुरानी बात हो गई, इसमें अब कोई मतलब नहीं है. सबने कह दिया, सबने सुन लिया और यात्राएं भी आ गई, अब तो फैसले की घड़ी है. अब तो फैसला आने वाला है और जल्द ही फैसला होगा. बजट से पहले फैसला होगा या बाद में इस सवाल को बैरवा टाल गए. बैरवा ने कहा कि यह फैसला आलाकमान के हाथ में है. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से लेकर सोनिया गांधी ने भी राजस्थान का दौरा कर एक-एक से वन टू वन बातचीत की है और जल्द ही इस पर फैसला होगा.
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कुछ दिन पूर्व ही कांग्रेस राजस्थान प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा के दौरे के दौरान विधायक खिलाडीलाल बैरवा ने अपने बयान में राज्य की गहलोत सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा था कि गहलोत सरकार में कोई कामकाज नहीं हो रहा. उन्होंने कहा था कि सचिन पायलट के लिए दो अच्छी बातें बोलने की उन्हें सजा मिल रही है. लेकिन आज इस सवाल पर वापस पलटी मार ली. खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. काम भी हो रहे हैं और सरकार काम भी कर रही है, वो हमारे अंदर की बात है. इसमें ऐसा कोई इश्यू नहीं है जिसे बोला जाए.
राजनीति में कुछ भी हो जाए, उसे नकारा नहीं जा सकता
खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत से मेरी कोई नाराजगी नहीं है. 33 साल ने उनके साथ राजनीति में हूं. ये हमारी आपसी बात है, इसमें नाराजगी वाली कोई बात नहीं. सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बयान पर कहा कि इसमें क्या नारजगी है. अशोक गहलोत के बारे में हमने क्या गलत बोल दिया. वो सीएम है और पायलट भी डिप्टी सीएम रहे है. राजनीति में उतार चढाव चलते रहते है, बदलाव की गुंजाइश रहती है और अंतिम दिन तक राजनीति में कुछ भी हो जाए, उसे नकारा नहीं जा सकता.
सजा कम इसलिए बढ़ रहे एससी वर्ग पर अत्याचार
एससी आयोग के अध्यक्ष बाड़मेर पहुंचे तो अनुसूचित जाति वर्ग के परिवादियों ने आयोग अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा को ज्ञापन सौंपकर अपनी पीड़ा सुनाई. जिसके बाद बैरवा ने कलेक्ट्रेट स्थित कांफ्रेंस हॉल में अधिकारियों की बैठक लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए. बैरवा ने कहा कि पूर्व के समय में थानों में परिवाद दर्ज नहीं होते थे. अब परिवाद दर्ज हो रहे हैं, इसलिए एससी वर्ग पर अत्याचार के मामले बढ़े है. सजा का प्रावधान कम है, सजा के प्रावधानों में बदलाव कर एससी वर्ग पर हो रहे अत्याचारों को रोका जा सकता है.
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